पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/२४

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गुलामगिरी / 25 सकी। ब्राह्मण-पुरोहितों ने इन पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए, इन्हें हमेशा- हमेशा के लिए अपना गुलाम बनाकर रखने के लिए, केवल अपने निजी हितों को ही मद्देनजर रखकर, एक से अधिक बनावटी ग्रंथों की रचना करके कामयाबी हासिल की। उन नकली ग्रंथों में उन्होंने यह दिखाने की पूरी कोशिश की कि, उन्हें जो विशेष अधिकार प्राप्त हैं, वे सब उन्हें ईश्वर द्वारा प्रदत्त हैं। इस तरह का झूठा प्रचार उस समय के अनपढ़ लोगों में किया गया और उस समय के शूद्रादि- अतिशूद्रों में मानसिक गुलामी के बीज बोए गए। उन ग्रंथों में यह भी लिखा गया कि शूद्रों को (ब्रह्म द्वारा) पैदा करने का उद्देश्य बस इतना ही था कि शूद्रों को हमेशा- हमेशा के लिए ब्राह्मण पुरोहितों की सेवा करने में ही लगे रहना चाहिए और ब्राह्मण-पुरोहितों की मर्जी के खिलाफ कुछ भी नहीं करना चाहिए। मतलब, तभी इन्हें ईश्वर प्राप्त होंगे और इनका जीवन सार्थक होगा ..... ब्राह्मण - पंडा- पुरोहित लोग अपना पेट पालने के लिए, अपने पाखंडी ग्रंथों द्वारा, जगह-जगह, बार-बार, अज्ञानी शूद्रों को उपदेश देते रहे, जिसकी वजह से उनके दिलो-दिमाग में ब्राह्मणों के प्रति पूज्यबुद्धि उत्पन्न होती रही। इन लोगों को उन्होंने (ब्राह्मणों ने) इनके मन में ईश्वर के प्रति जो भावना है, वही भावना अपने को (ब्राह्मणों को) समर्पित करने के लिए मजबूर किया । यह कोई साधारण या मामूली अन्याय नहीं है। इसके लिए उन्हें ईश्वर के पास जवाब देना होगा। ब्राह्मणों के उपदेशों का प्रभाव अधिकांश अज्ञानी शूद्र लोगों के दिलो-दिमाग पर इस तरह से जड़ जमाए हुए है कि अमेरिका के (काले) गुलामों की तरह जिन दुष्ट लोगों ने हमें गुलाम बनाकर रखा है, उनसे लड़कर मुक्त (आज़ाद) होने की बजाय जो हमें आज़ादी दे रहे हैं, उन लोगों के विरुद्ध फ़िजूल कमर कसकर लड़ने के लिए तैयार हुए हैं। हर मनुष्य को आजाद होना चाहिए, यही उसकी बुनियादी जरूरत है। जब व्यक्ति आजाद होता है तब उसे अपने मन के भावों और विचारों को स्पष्ट रूप से दूसरों के सामने प्रकट करने का मौका मिलता है। लेकिन जब उसे आजादी नहीं होती तब वह वही महत्त्वपूर्ण विचार, जनहित में होने के बावजूद दूसरों के सामने प्रकट नहीं कर पाता और समय गुजर जाने के बाद वे सभी विचार लुप्त हो जाते हैं। आजाद होने से मनुष्य अपने सभी मानवी अधिकार प्राप्त कर लेता है और असीम आनंद का अनुभव करता है। सभी मनुष्यों को मनुष्य होने के जो सामान्य अधिकार, इस सृष्टि के नियंत्रक और सर्वसाक्षी परमेश्वर द्वारा दिए गए हैं, उन तमाम मानवी अधिकारों को ब्राह्मण-पंडा- पुरोहित वर्ग ने दबोचकर रखा है। अब ऐसे लोगों से