पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/१७

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18 / जाति क्यों नहीं जाती ? इशारा कुछ ही दिनों पहले की बात है, मतलब आर्य ब्राह्मण पेशवा के अंतिम वंशज रावबाजी के कार्यकाल का अंत होने तक, किसान लोगों को लगान देने में भूल से थोड़ा भी विलंब होने पर उन्हें धूप में गरदन को घुटनों तक और हाथ के पंजे को पाँव के उँगलियों को छूने तक झुककर रहना पड़ता था और उनकी पीठ पर एक बड़ा पत्थर रखा जाता था। कभी-कभी उस किसान की पीठ पर उसकी औरत को बिठाया जाता था। नीचे से उसको मिरची का धुआँ दिया जाता था। तात्पर्य, उस समय प्रजा को क्लेश देने के काम में जो कुछ सुधार हो गया था, वह अन्य देशों की प्रजा के दुखों से तुलना करके देखा जाए तो, इन्हें ही प्रथम दर्जे का बख्शीश दिया जाएगा। कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि ब्राह्मण जाति के लोग प्रजा को किस तरह से चूसा जाए, उन्हें किस तरह से ज्यादा दुख दिया जा सकता है, इसके लिए कौन-सा तरीका अपनाने से उनका अहित होगा, इसके लिए दिन-रात वे अपने धर्मशास्त्रों का एक भाव से, एक निश्चय से जैसे कोई अध्ययन, पठन-पाठन तो नहीं कर रहे थे! उनका प्रजा को दुख देने का मतलब था इन्हें मारना, पीटना, लूटना या त्रस्त करना, यही इसका अर्थ था। प्रजा का अहित करने में ही उनको मजा आता वे (ब्राह्मण) लोग प्रजा का अर्थ लकड़ी, कचरा, कूड़ा-कर्कट, खटमल या किसी एक तरह के जानवर ही मानते थे। उनकी दृष्टि में उस प्रजा का उपयोग भी क्या था ? उनका काम भी क्या था ? प्रजा का काम यही था कि राजा और उनकी जाति के लोगों के लिए, उनकी बीवियों के लिए और उनके बाल-बच्चों के लिए खेत से अनाज पैदा करना, कपड़ा बुनना, उनके लिए लहलहाती धूप में खपना, और उन्हें ऐशोआराम के लिए जिन-जिन चीजों की दरकार हो, वह सब पैदा करना । इसके अलावा उन्हें दूसरा कोई मानवी अधिकार प्राप्त नहीं था। खैर, चलिए । था। इस प्रकार सत्तांध होकर प्रजा से क्रूरतापूर्ण, अमानवी बर्ताव करनेवाले, प्रजा को पशु से भी बदतर समझनेवाले राजाओं की और उनकी जाति-बिरादरी के लोगों की सर्वंकष सत्ता इस देश की प्रजा पर चल रही थी । यहाँ का ब्राह्मण-धर्म, उनके धर्मग्रंथ, उनके धर्मशास्त्र, उनका ईश्वर, उनकी आत्मा-परमात्मा, उनके देवी- देवता, उनका पुरोहित वर्ग- सभी कुछ प्रजा को शत्रु मानते थे और वे उनसे उसी तरह से व्यवहार भी करते थे। इस देश की प्रजा को सदियों से कोई मानवी अधिकार प्राप्त नहीं था। उनके सभी मानवी अधिकार छीन लिए गए थे। उन्हें इस देश के नागरिक होने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं था ..........