पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/१५

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16 / जाति क्यों नहीं जाती ? लोगों की सेवा करना यह उनका धर्म नहीं है, बल्कि यह उनकी लाचारी और मजबूरी है। धूर्त चोरों द्वारा सोए हुए लोगों के मकान तोड़ना यह उनका धर्म नहीं है, बल्कि यह उनके हाथ की सफाई है। विजयी आर्यभट्ट ब्राह्मणों द्वारा अतिशूद्रों को पढ़ाई-लिखाई का अधिकार न देना यह उनका धर्म नहीं है, बल्कि यह उनका बदला लेने का षड्यंत्र है । पराजित अज्ञानी लोगों को छलकर खाना यह उनका धर्म नहीं है बल्कि यह उनकी धूर्तता है। सरकारी काम पर रहनेवाले का अनपढ़ लोगों से रिश्वत लेना यह वैसे कर्मचारी का धर्म नहीं, बल्कि यह उसकी सरकार से दगाबाजी करने की गलाकी है। बिना मेहनत के धर्म के नाम पर अज्ञानी लोगों को लूटकर खाना यह जानकार-- समझदार ब्राह्मण का धर्म नहीं है, बल्कि यह उसकी खुल्लमखुल्ला धोखेबाजी है। मूर्ख-अनपढ़ शूद्रों के द्वारा यहाँ के अंग्रेज सरकार के विरोध में विद्रोह करवाकर अज्ञानी शूद्रादि-अतिशूद्रों को विपदा में डालना यह धूर्त पेशवा और फड़के इनका धर्म नहीं है, बल्कि यह उनकी राजद्रोह करने की बदमाशी है। अन्य सभी लोगों को नीच मानना और केवल अपने-आपको पवित्र मानकर शुद्धि आदि कर्मकांड करना यह ब्राह्मणों का धर्म नहीं है, बल्कि यह उनकी सारी अब्राह्मण दुनिया को अपवित्र मानने की जातिगत चालाकी है। वेश्या के साथ एक शय्या पर सोने के बाद घर में आने पर शुद्धिकर्म करना यह सज्जन मानव का धर्म नहीं है, बल्कि यह उसकी अपवित्रता है। अपने निर्वाह के लिए मरे हुए जानवरों का मांस खाना यह मातंग महारों का धर्म नहीं है, बल्कि यह उनकी लाचारी और मजबूरी है। यज्ञ के और श्राद्ध के बहाने तंदुरुस्त गौ- आदि जानवरों की हत्या करके खाना यह ब्राह्मणों का धर्म नहीं है, बल्कि यह उनकी मांस खाने की प्रवृत्ति है। यशवंत : रैयत से लगान लेना यह भी क्या राजा का धर्म नहीं है ? जोतीराव: चोर, विद्रोही और कई प्रकार के धर्मठग, धूर्त, लुच्चे लोगों के द्वारा खड़ी की गई परेशानी से प्रजा का और अपना बचाव करने के लिए रैयत से कर लेना, यह राजा का कर्तव्य कर्म है, इसको धर्म क्यों कहना चाहिए ? यशवंतः राजा द्वारा वसूल किए गए कर, चंदे की रकम रैयत के सुख के लिए खर्च न करके सिर्फ निकम्मे, धूर्त ब्राह्मणों के पालन-पोषण पर खर्च करने और अपने खुद के ऐशो-आराम के लिए उसका उपयोग करने से उसका परिणाम क्या होगा ? जोतीराव : इस तरह करने से कई राजा-२ -रजवाड़ों का बुरा हाल हो गया। एक समय