पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/१४

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धर्म / 15 निर्वाह करता है तो हम लोग भी कभी-कभार अपने कपड़े धोते हैं या नहीं ? इस तरह मजदूरी लेकर दूसरों के कपड़े धोना, यह एक तरह से धंधा हो गया, इसको किसी को क्यों धर्म कहना चाहिए ? उसी प्रकार कोई आर्य भट्ट ब्राह्मण दूसरे का शार्गिद बनकर उनके कपड़े धोकर अपना गुजारा करने लगा तो क्या उसको आप लोग धोबी कहेंगे? और उस शार्गिद ब्राह्मण का धोबी जैसा वह धंधा उसका धर्म होगा ? यशवंतः उसी प्रकार मजदूरी के लिए सभी लोगों की हजामत करके उस पर अपना गुजर-बसर करना यह हज्जाम का धर्म है या नहीं ? जोतीराव : मजदूरी के लिए हम सभी के बाल काटना, यह यदि हज्जाम का धर्म है, तो हम लोग हमेशा अपने नाजुक जगह के बाल एक ओर जाकर काटते हैं या नहीं? इसके अलावा किन्हीं धूर्त हज्जामों की बहुत ही धूर्त ब्राह्मणों से किसी मामूली कारण से तू-तू, मैं-मैं हो गई तो कई ब्राह्मण पैसा कमाने के उद्देश्य से बेझिझक बगल में नाइयों वाला झोला दबाकर दूसरों की हजामत करने का धंधा करते हैं। इस आधार पर आर्यभट्ट ब्राह्मणों का धर्म हज्जाम का धर्म हो गया, क्या यह कहा जायेगा ? यशवंत: क्या मजदूरी के लिए हम सभी लोगों का पाखाना साफ करके उस पर अपना निर्वाह करना यह भंगी का (हलालखोर) धर्म है या नहीं ? जोतीराव : मजदूरी के लिए हम सभी लोगों का पाखाना साफ करना यह यदि भंगी का धर्म है तो हम लोग भी तो कभी घर की खटिया पर पड़े हुए अपने किसी बीमार आदमी का पाखाना साफ करते हैं या नहीं? मतलब मजदूरी लेकर दूसरों का पाखाना साफ करना यह एक प्रकार का धंधा है, उसको कौन आदमी धर्म कहेगा? उसी प्रकार किसी मूर्ख ब्राह्मण ने दूसरे का शार्गिद होकर उसका पाखाना साफ किया तो क्या आप उसको भंगी कहेंगे ? धनगरों द्वारा भेड़ें पालकर उनको चराना यह उसका धर्म नहीं है, बल्कि यह उसका एक धंधा है। खेती का काम करना कुनबी का धर्म नहीं है, बल्कि वह उसका धंधा है। बाग का काम करना माली का धर्म नहीं है, बल्कि वह उसका एक धंधा है। मेहनताना लेकर लोगों की सेवा करना नौकर का धर्म नहीं है, बल्कि वह उसका धंधा है। मकान का काम करना बढ़ई का धर्म नहीं है, बल्कि वह उसका एक धंधा है। जूता बनाना चमार का धर्म नहीं है, बल्कि वह उसका एक धंधा है। रखवाली करना रामोशी का धर्म नहीं है, बल्कि वह उसका एक धंधा है। दुर्बल, पराजित, सर्वहारा लोगों द्वारा अपने क्रूर, विजयी मालिक