पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/१२

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, मद्यपान क्यों करते हैं ? या पाव-बिस्किट क्यों खाते हैं? इसके अलावा वे म्लेच्छ' आदि अतिशूद्रों की लड़कियों के साथ ब्याह करके अपना संसार बसाते हैं या नहीं? इसलिए मेरा कहना यह कि, 'ब्राह्मण: सर्वत्र पूज्य: ' इस बात को तुम लोगों को अपने दिलो-दिमाग से निकाल देना चाहिए, इस वाक्य को तुम लोगों को अपने मन से हटा देना चाहिए, बस ठीक हो जाएगा। यशवंतराव : तो इसी के आधार पर अपने इस अभागे बलिस्थान में जगविरोधी धनगर, माली, कुनबी आदि कई जातियाँ हैं, क्या वे सभी झूठी हैं ? जोतीराव : आपका यह सारा कहना विचार करने के बाद झूठ साबित होगा, ऐसा मुझे लगता है। मान लो, किसी एक आदमी के तीन बच्चे हैं और उनमें से एक बच्चे ने भेड़ पालने में अपनी सारी उम्र गँवा दी है, दूसरे ने फलों, सब्जियों आदि की खेती में अपनी सारी उम्र गँवा दी है और तीसरे ने खेत को जोतने, हल चलाने में, उसमें बोने, काटने में अपनी सारी उम्र गुजार दी है, तो आप इससे उन (पहला लड़का धनगर या गड़रिया, दूसरा माली और तीसरा कुनबी) तीनों लड़कों की तीन जातियाँ हैं, ऐसा कह सकते हैं ? यशवंतराव : उन्हें ऐसा कैसे ठहराया जाएगा ? जातिभेद / 13 जोतीराव: उसी प्रकार एक ब्राह्मण के तीन लड़के हैं, उनमें से एक लड़के ने अपने निर्वाह के लिए तबलजी का धंधा करने में अपनी सारी उम्र गँवा दी, दूसरे ने अपने निर्वाह के लिए वैद्य का (डाक्टरी) धंधा करके सभी लोगों को दवाइयाँ दीं, जाति का विधिनिषेध नहीं रखा और लोगों के शवों को फाड़ने-सिलने में अपना सारा जीवन खर्च कर दिया, और तीसरे लड़के ने पेट के लिए घर-घर जाकर रसोइया का काम करके, रोटियाँ पकाने में अपनी सारी उम्र गुजार दी । इस आधार पर क्या आप यह कह सकते हैं कि उसके पहले लड़के की गुरव जाति है, दूसरे की वैदू ' जाति है और तीसरे की रसोइया जाति है ? 4 1. अनार्य, विदेशी, यूरोपीय, ईसाई, मुसलमान लोग। 2. बलि राजा के नाम पर महात्मा फुले ने इस देश को 'बलिस्थान' कहा है। बलि एक शूद्र राजा था। इस तरह की पुराण कथा है। लेकिन ब्राह्मण कोशकार बलि को एक दैत्यराजा, राक्षसों का राजा मानते हैं। जो लोग ब्राह्मण, ब्राह्मणवाद, ब्राह्मण धर्म के विरोध में थे उनको दैत्य 3. 4. कहा गया। किसी मंदिर का अब्राह्मण पुजारी। शिव मंदिर का अब्राह्मण पुजारी। महाराष्ट्र में गुरव नाम की एक जाति है। वैदू का मतलब अड़ाणी वैद्य, आदिवासी गोंड की एक जाति, भट्ट की जमात में भी वैदू नाम की जाति है, जिसका पेशा जंगल-पत्ती से, कंद-मूलों से दवाई, चूर्ण बना करके बेचना है।