पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/१०

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नारी / 11
 

करनेवाले भयंकर बेशर्म आर्य ब्राह्मण अपनी अबला और दुर्बल भौजाई और बहू के यौवनास्वथा आते ही रात और दिन ऐसे उनका इतना पीछा करते हैं कि स्वाभाविक रूप से उनके कदम गलत रास्ते पर पड़ जाते हैं, और जब इस तरह से होता है तब उनको अपनी इज्जत बचाने के लिए मजबूर होकर गर्भपात करके भ्रूण हत्या करनी पड़ती है। इसी से आप अंदाज लगा सकते हैं कि धूर्त आर्य ब्राह्मण जाति में कितनी मात्रा में गर्भपात और भ्रूण हत्याएँ होती होंगी ! इस सबके बारे में सही-सही कोई कुछ कह नहीं सकता।

बलवंतराव : मैं इस विकराल पाप का अनुमान करके बताने में पूरी तरह असमर्थ हूँ किंतु इस भयावह परंपरा को आर्य ब्राह्मणों ने आज तक अपनी जाति में क्यों बरकरार रखा ? लगता तो यही है कि इस तरह की पैशाचिक परंपरा को कायम रखने से धूर्त आर्य ब्राह्मण जाति का अपने-आप विनाश होगा, ये लोग निर्वश होकर नष्ट हो जाएँगे। फिर ये लोग इस अघोर परंपरा को अपनी जाति से क्यों नहीं निकाल देते ?

जोतीराव : इसका कारण है। नारी जाति को नीच समझने की उनकी परंपरा है और इसके समर्थन में कई धूर्त, चालाक ऋषियों ने धर्मशास्त्रों को लेकर कई संहिताएँ, स्मृतियाँ आदि रचकर पुरुषों को सबल आधार प्रदान किया। इसकी वजह से उन्होंने आज तक इस अघोर, नीच परंपरा को कायम रखा है। आप ही सोचिए कि आर्य ब्राह्मणों ने इस अघोर परंपरा को समाज में प्रचारित करके भोले-भाले अज्ञानी कुलकर्णी (कुलवाड़ी) सुनार आदि जाति के लोगों को भी अपनी नकल के लिए प्रेरित किया । और उन्होंने भी ब्राह्मणों की तरह ही अपनी बहू-बेटियों को उसी प्रकार की कठिनाइयों में डाला है। इस अन्याय को देखकर भी हम सभी के पर अन्यायी और दयालु निर्माणकर्ता को उनके अघोर दुष्ट आचरण पर क्या गुस्सा नहीं आता होगा ? आता होगा । जातिभेद यशवंतराव : मानव प्राणियों में जातिभेद है या नहीं ? जोतीराव : मानव प्राणियों में मूल में जातिभेद नहीं है । यशवंतः मानव प्राणियों में मूल में जातिभेद नहीं है ? जोतीराव : क्योंकि जानवरों, पंछियों में जातिभेद नहीं है। तो फिर मानव प्राणियों