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जात-पाँत का गोरखधंधा

मैं एक और उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता हूं,कपिलेदव मालवीय'••••इस आधार पर बिरादरी से निकाल दिये गए कि उन्होंने मेरे साथ खाना खाया था, एक और महाशय भी मुझे निमंत्रण देने के अपराध में बिरादरी से बहिष्कृत कर दिये गए हैं, यही महाशय मालवीय जाति के प्रसिद्ध अभियोग में मुद्दई हैं जो इलाहाबाद के मुंसिफ साहब की अदालत में चल रहा है, आप का शुभ नाम पं० सत्यनाराण मालवीय है दूसरी ओर पं० मदनमोहन मालवीय के पुत्र पं० रमाकान्तजी मालवीय हैं।

मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरी जाति ने पं० मदनमोहनजी मालवीय जैसा प्रबल व्यक्ति उत्पन्न किया है जो हिन्दू जाति के बिखरे तत्वों को इकट्ठा करने का भगीरथ प्रयत्न कर रहे हैं, परन्तु शुद्धि संगठन के आन्दोलन के समय में जब कि दूसरे मतों के मनुष्यों को हिन्दू बनाने का यत्न हो रहा है और अछूत को हिन्दू धर्म्म में सम्मिलित करके उन्हें समाज में ऊंचा स्थान दिया जारहा है यह आश्चर्यजनक बात है कि मालवीयजी एस हिन्दू संगठन के महान् नेता अपने एक निकट के सम्बन्धी को विरादरी से बाहर करने का अपराध करें और वह भी केवल इस बात पर कि उसने अपने विश्वासानुसार अपनी कन्या का विवाह एक ऐसे मनुष्य से कर दिया जो मालवीय जाति से संबन्ध नहीं रखता ।