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स्वतंत्रता कहाँ होगी? वहाँ भी प्रजातंत्र स्थापित होने के सौ बर्ष बाद तक गुलामों का व्यापार चलता रहा। इंगलैंड में भी सत्तर वर्ष के निरंतर यत्न के बाद ही मृत पत्नी की बहन के साथ विवाह करने-जैसे निर्दोष काम को करने की आज्ञा मिली थी, हालाँकि वहाँ मामा और चाचा की लड़की से विवाह कर लिया जाता है। साली के साथ विवाह की मनाही का कारण यह था कि वहाँ डर था कि पत्नी के जीवन-काल में ही कोई साली से न मिल जाय, जिसमे घर का सुख और शांति नष्ट होने का डर है। साली के साथ विवाह करने में समाज में कोई रचना-संबंधी परिवर्तन नहीं होता परंतु हिंदू समाज में जाति से बाहर विवाह करने से जाति बंधन नष्ट हो जाता है और समाज की रचना पर आघात पहुँचता है। इतना ही नहीं, वरन् संदिग्ध वर्ण (जाति) की या वर्णहीन (जाति-पाँति से रहांस) संतान उत्पन्न करके, ऐसे समाज में जहाँ नीचतम जातियों में भी रक्त की शुद्धता ही संभ्रांतपन का चिह्न समझा जाता है, गड़बड़ पैदा हो जाती हैं, क्योंकि यह सब कोई जानता है कि हिंदू-समाज में नीच जाति के लोग भी उस मनुष्य को विरादरी से बाहर निकाल देते हैं, जिसने अपनी जाति से बाहर चाहे अपने से ऊँची जाति के साथ विवाह क्यों न किया हो। दोगली संतान बढ़े अपमान का कारणा समझी जाती है।

उत्तर—परमेश्वर ने मनुष्य को बुद्धि इसलिये दी है कि वह दूसरों की दशाओं को देखकर उससे अपने लिये शिक्षा ले। इतिहास इसलिये पढ़ा जाता है, ताकि जो भूलें दूसरे लोगों ने की और हानि उठाई, उन से हम बचे रहे। आग से हाथ जल जाता है, क्या इसको जानने के लिए आग में हाथ डालकर देखने की ज़रूरत है? क्या कौरवों और पांडवों का इतिहास फूट की हानियों पर विश्वास कराने के लिये पर्याप्त नहीं। यदि इतना हठ करने पर भी अंत में इंगलैंड को रोमन