हजार सवारोंके मनसब पर नियत किया और जागीर देनेको भी, आज्ञा दी।
पीरखां लोदीको सलाबतखां और पुत्र की पदवी।
बादशाहने दौलतखां लोदोके बेटे पीरखांको जो सुलतान दानियालके बेटोंके साथ आया था नक्कारा निशान सलाबतखां उप- नाम और ३ हजारो जात व डेढ़ हजार सवारोंका मनसब प्रदान किया और इसके सिवा पुत्रको पदवी भी दी।
इसके दादा उमरखांके चचा बड़े दौलतखांने सुलतान सिकन्दर लोदीके बेटे इब्राहीम लोदीसे नाराज होकर अपने बेटे दिलावरखां को काबुलमें बाबर बादशाहके पास भेजा था। उसकी सलाह और सहायतासे पञ्जाब जीतकर वहांको हाकिमी दौलतखांकेही पास रहने दी। दौलतखां बूढ़ा आदमी था इस लिये बाबर बादशाह उसको बाप कहता था।
दूसरी बार जब फिर काबुलसे आया तो दौलतखां उसी अवसर पर मर गया। बादशाहने दिलावरखांको खानखानांकी पदवी दी। वह सुलतान इब्राहीमकी लड़ाई में बाबर बादशाह के साथ रहा था और हुमायूं बादशाहकी सेवामें बंगालेकी लड़ाइयों में भी गया था। मुंगेरको लड़ाई में पकड़ा गया। शेरखांने उससे अपनी नौकरी कर लेनेको बहुत कहा। परन्तु उसने स्वीकार नहीं किया और कहा कि तेरे बाप सदा मेरे बड़ोंकी नौकरी करते थे फिर मैं कैसे तेरा नौकर रह सकता है। इस पर शेरखांने रोष करके उसे दीवार में चुनवा दिया।
सलाबतखांका दादा उमरखां जो दिलावरखांका चचेरा भाई था सलेमखांके राज्य में बहुत बढ़ा। पर सलोमाखांके पीछे जो उसके बेटे फीरोजको मुहम्मदखाने मार डाला इससे उमरखां शङित हो कर अपने भाइयों सहित गुजरात में चला गया और वहीं मरा । उसका बेटा दौलतखां मिरजा अबदुर्रहीम खानखानांकी सेवामें रहा। खानखानां उसको सगे भाईके समान मानता था। उसने