परवेजका तुलादान।
१३ रज्जव(अगहन बदी १) बुधवारको परवेजकी तुला सौरपक्ष से हुई । उसको १२बार धातुओं और दूसरी वस्तुओंमें तौला गया। प्रत्येक तुला दो मन १८ सेरकी हुई।
कंधार।
उस सेनाके सिवा जो मिरजा गाजीके साथ गई थी बादशाहने तीन हजार सवार एक हजार बरकन्दाज और शाहबेगखां, मुह म्मद अमीन तथा बहादुरखांके साथ भेजे और दो लाख रुपये खर्च के लिये दिये।
हजूरी बखशी।
बादशाहने अबदुर्रज्जाक मामूरोको जो रानाके सूवेसे बुलाया गया था हजूरी बखशी बनाकर हुक्म दिया कि अबुलहसनसे मिल कर काम करें। यह अकबर बादशाहका बांधा हुआ प्रवंध था कि बड़े बड़े कामोंमें दो योग्य आदमी शामिल कर दिये जाते थे। वह लोग अविश्वासके विचारसे नहीं शामिल किये जाते थे वरञ्च इस लिये कि यदि कुछ हरज मरज हो तो सहायता करें।
रामचन्द्र बुन्देला।
बादशाहकी सुनाया गया कि अबदुल्लहखांने दसहरेके दिन अपनी जागीर कालपीसे बुन्देलोंके देशमें धावा मारा। नन्दकुमारके बेटे रामचन्द्रको जो बहुत सरायसे उधरको जङ्गलों में लूट खसोट कर रहा था पकड़ कर कालपीमें लेआया। बादशाहने इसके उपहारमें उसको झंडा, तीन हजारी जात और दो हजार सवारका मनसब दिया।
राजा संग्राम।
सूबे बिहारको अर्जियोंसे, विदित हुआ कि जहांगीर कुलीखांने संग्रामके साथ जो सूबेबिहारके बड़े जमींदारोंमें ३४ हजार सवार और बहुतसे पैदलों का स्वामी था एक विषम मैदानोंमें उसकी दुष्टता और शत्रुताके कारण युद्ध किया। संग्राम गोलीसे मारा गया।