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जहांगीरनामा।

१३ शुक्र(१) को नावमें बैठकर "घर" नामक गांवकी सीमा तक अपनी मां "मरयममकानो" के स्वागतको गया। चंगेजखां, तैमूर और बाबरके नियत किये नियमोंके अनुसार अदब और आदाब बजा लाया।

रानाकी मुहिम ।

१७ (भादों बदी ५) को मुअज्जु लमुल्क उस लशकरकी बखशी- गरी पर भेजा गया जो रानाके मुल्क में नियत था।

रायसिंह और दलपतका बदल जाना।

रायसिंह और उसके बेटे दलपतका नागोर प्रान्तमें प्रतिकूल हो जानेका वृत्तान्त सुनकर बादशाहने राजा जगन्नाथ और मुअज्जुल- मुल्कको हुक्म भेजा कि जल्द वहां जाकर फसाद मिटावें ।

इबराहीम बाबा पठान।

शैख इबराहीम बाबा नामक एक पठान लाहौरके किसी परगने में गुरु शिष्यका पन्थ चला रहा था। बहुतसे पठान उसके पास एकत्र होगये। बादशाहने उसकी दूकान उठा देनेके लिये हुक्म दिया कि शैख इब्राहीमको पकड़कर परवेजके हवाले किया जावे वह उसे चुनारके किले में कैद करे।

मनसबों में बृद्धि ।

६ (२) जमादिउलअव्वल (भादों सुदी ८) रविवारको बयालीस मनसबदारों के मनसब बढ़े और पचीस हजार रुपयेका एक माणिक्य शाहजादे परवेजको दिया गया।

सौरपक्षका तुलादान।

९ (भादों सुदी १२) बुधवारको बादशाहका ३८वां वर्ष सौरपक्ष से लगा। राजमाताके भवन में तोलने के लिये तक लगाया गया। तीन पहर चार घड़ी दिन व्यतीत होने पर बादशाह तुलामें बैठा। उसके प्रत्येक पलड़ेको दीर्घावस्थावाली स्त्रियोंने थामकर आशीर्वाद दिया।


(१) मूलमें १२ भूलसे लिखी है।
(१) मूलमें भूलसे ७ लिखा है।