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जहांगीरनामा।

में मिरजा अजीजकोका और बादशाही लशकर था। आप मिरजा अजीज कोकाकी मा जीजी अंगाके घबरा जानेसे तुरन्त निजसेना सहित फतहपुरसे गुजरातको रवाने होगये और दो महीने के रस्तेको कभी घोड़े कभी ऊंट और कभी घुड़वहलकी सवारीपर ९ दिनमें काटकर ५ जमादिउल अव्वलको दुश्मनको पास जापहुंचे। शुभचिन्तकोंसे सलाह पूछने लगे तो कुछ लोगोंने रात्रिमें छापे मारनेको सलाह दी। आपने फरमाया कि छापा मारना कायर और धूतोंका काम है। उसी क्षण नरसिंह बजाने और सिंहनाद करनेका हुक्म देकर साबरमती पर आये और लोगों को प्रवन्धपूर्वक नदीसे उतरनेकी आज्ञा की।"

"मुहम्मदहुसैनमिरजा कोलाहल सुनकर घबराया और स्वयं भेद लेनेको आया । इधरसे सुबहानकुली तुर्क भी इसी तलाशमें नदी पर आया था मिरजाने उसको देखकर पूछा कि यह किसकी फौज है। तुर्कने कहा कि जलालुद्दीन अकबर बादशाह हैं और उन्हीं की फौज है। मुहम्मदहुसैनमिरजाने कहा कि मेरे जासूस १४ दिन पहले बादशाहको फतहपुरमें देख आये हैं तू झूठ कहता है। सुबहानकुलीने कहा आज नवां दिन है कि हजरत फतहपुरसे धावा करके आये है। मिरजा बोला कि भला हाथी कैसे पहुँचे होंगे ? सुबहानकुलीने जवाब दिया कि हाथियोंकी क्या आवश्य- कता थी हाथियोंसे बढ़चढ़ कर पहाड़ीको तोड़ देने वाले ऐसे ऐसें शूरवीर आये हैं कि तुमको तरकशी करनेको हकीकत मालूम हो जायेगी।"

"मिरजा दूर जाकर अपनी सेनाको सजाने लगा और बादशाह शत्रुओंके हथियार बांधनेको खबर आने तक वहीं ठहरे रहे। जब किरावलोंने यह खबर पहुँचाई कि अब गनीम हथियार पहिन रहा है तो आप आगे बढ़ें और खान आजमके बुलानेको आदमी भेजे। परन्तु उसने आने में विचार करके कहलाया कि शत्रु प्रवल है जबतक गुजरातका लशकर किलेसे बाहर न आजावे नदीके पारही रहना चाहिये। आपने फरमाया कि हमको हमेशा और