पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/५९

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जहांगीरनामा बादशाह स० १६६२।

या घोड़ा सुने और मंगा न ले। हिन्दुस्थानी रागोंका बड़ा रसिक या। हिन्दुओंके ढङ्ग पर हिन्दी में यदि कुछ कविता करता तो बुरी न होती थी।

"दानियालके जन्मके पीछे फिर एक लड़की बीबी दौलतशाहसे पैदा हुई। पिताने उसका नाम शकरुन्निसा बेगम रखा। वह उनके पासही पली थी इससे बहुत अच्छी निकली। भलमनसी और सब पर दया रखना उसका खाभाविक गुण है। बचपनसे अबतक मेरे स्नेहमें डूबी हुई है ऐसी प्रीति बहन भाइयों में बहुत कम होती होगी। बाल्यावस्थामें पहली बार जैसी कि मर्यादा हैं बालकोंको छाती दवानेसे दूधको बून्द निकलती है। जब मेरी इस बहनको छाती भी दवाई गई और उससे दूध निकला तो मेरे पिता ने मुझसे कहा कि बाबा इसको पो जा जिससे तेरी बहन तेरी मा को जगह भी हो जावे । ईश्वर जानता है कि जिस दिनसे मैंने उस दूधकी बून्दको पिया उसी दिनसे बहनपनेके सम्बन्धके साथ अपने में वह प्रीति भी पाता है जो लड़कोंको मासे होती है।"

"कुछ दिनों पीछे एक और लड़की उसी बीबी दौलतशाहसे पैदा हुई। पिताने उसका नाम आरामबानू बेगम रखा। उसका मिजाज कुछ गम और तेज है। पिता उसको बहुत प्यार करते थे। उसको बहुतसी बेअदबियोंको सहते थे जो अति मोह होनेके कारण बुरी नहीं लगती थीं और मुझे सावधान करके कईबार कह चुके थे कि बाबा मेरी खातिरसे अपनी इस बहनके साथ जो हिन्दुओंकी बोलीके अनुसार मेरी लाड़ली है मेरे पीछे ऐसाही बरताव बरतना जैसा कि मैं उससे बरतता है। इसका लाड़ करना और इसको वेअदबियोंसे बुरा न मानना।"

"मेरे पितामें जो उत्तम गुण थे वह कहने में नहीं आते। इतने बड़े राज्य असंख्य कोष और हाथी घोड़ोंके स्वामी होकर परमेश्वर से डरतही रहते थे और अपनेको उसको सृष्टिका एक तुच्छ जीव मानते थे।"