पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/५६

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जहांगीरनामा।

३ हजारी और डेढ़ हजारी कर दिया। पिछला उनके चचा मिरजा मुहम्मद हकीमके पास रहा करता था।

अबुलकासिम तमकीनका भी जो अकबर बादशाहका पुराना नौकर था डेढ़ हजारी मनसब होगया। बादशाह लिखता है कि--"ऐसा बहुपुत्नी कोईही होगा। उसके ३० लड़के हैं और लड़कियां इतनीही नहीं तो इससे आधीसे तो कम नहीं।"

पुत्र पदवी।

बादशाहने शैख सलीम चिश्तीके पोते शैख अलाउद्दीनकी बेटे की पदवी प्रदान की। यह बादशाहसे एक वर्ष छोटा था। बहुत साधु और साहसी था।

अली असगर बारहको सैफखांका खिताब और तीन हजारी, फरेदूंबरलासको दो हजारी और शैख बायजीदको तीन हजारी मनसब दिया। सैख वायजीद भी शैख सलीम चिशतीका पोता या। उसकी माने सबसे पहले बादशाहको दूध पिलाया था।

पण्डितोंसे शास्त्रार्थ।

बादशाह लिखता है--"एक दिन मैंने पण्डितोंसे कहा कि यदि ईश्वरका १० भिन्न भिन्न शरीरी में अवतार लेना तुम्हारे धर्मका परस सिद्धान्त है तो यह बुद्धिमानोंको प्रमाण नहीं। इस कल्पना से यह मानना पड़ेगा कि ईश्वर जो सब उपाधियोंसे न्यारा है लम्बाई चौड़ाई और गहराई भी रखता है। यदि यह अभिप्राय है कि उसमें ईखरका अंश था तो ईश्वरका अंश सब प्राणियों में होता है उनमें होनेको कोई विशेषता नहीं है। और जो ईश्वरके गुणोमेंसे किसी गुणके सिद्ध करनेका प्रयोजन है तो इसमें कोई मुख्य बात नहीं किस वास्ते कि प्रत्येक धर्म और पन्थमें सिद्ध पुरुष होते रहे हैं जो अपने समयके दूसरे मनुष्योंसे समझमें बढ़ चढ़ कर थे।"

"बहुतसे वाद विवादके बाद वह लोग उस परमेश्वरको मान गये जो रूप और रेखासे विभिन्न है। कहने लगे कि हमारी बुद्धि