अबुलनबी उजबकका सनसब अढाई हजारी होगया। यह तूरान का रहनेवाला था और अबदुलमोमिनखांके राज्यमें मशहदका हाकिम था।
सुलतान दानियालके बेटोंका बुलाना।
बादशाहने अपने विश्वासी सेवक शैख हुसैनको जो बड़ा शिकारी और जर्राह भी था अपने आई सुलतान दानियालके बाल- बच्चोंको लानेके लिये बुरहानपुर भेजा था। खानखानांको भी कुछ ऊंची नोचौ बातें कहलाई थौं वह उसका और वहां भेजे हुए दूसरे अमीरोंका समाधान करके सुलतान दानियालके घरवालों को लाहौर में बादशाहो पास ले आया।
नकीबखां इतिहासवेत्ता।
नकीबखांका पद बादशाहने बढ़ाकर डेढ़ हजारी कर दिया। यह बड़ा इतिहासवेत्ता था। बादशाह लिखता है-"सृष्टिकी उत्पत्तिसे आजतक सारी दुनियाका हाल इसको जबान पर है। ऐसी धारणाशक्ति परमेश्वर बिरलेही मनुष्यको देता है। मेरे पिता ने बादशाह होनेसे पहले इससे कुछ पढ़ा था इस लिये इसको उस्ताद कहते थे। यह इतिहास और परम्पराको ठीक ठीक जानने में अद्वितीय है।
अखयराज कछवाहके बेटे ।
२७ शाबान (माघ वदी १४) को राजा मानसिंहके काका भग- वानदासके पुत्र अखयराजके बेटों अभयराम, विजयराम और श्याम रामने विलक्षण उपद्रव किया! अभयरामले अपराधोंसे बादशाह कई बार आनाकानी कर गये थे। उस दिन अर्ज हुई कि वह अपने कबीलोंको देशमें भेजते हैं पोळसे आप भी भागकर रानाके पास जाना चाहते हैं। बादशाहने रामदास और दूसरे राजपूत सरदारोंसे कहा कि कोई इनका जामिन हो जावे तो इनके मनसब और जागीरें बहाल रखकर इनके पिछले कसूर माफ कर दिये जावें। पर दुर्भाग्यसे कोई उनका जामिन न हुआ। तब बाद