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जहांगीरनामा।

बापकी बीमारी में जब सब अमीर पलट गये थे तब भी वह नहीं पलटा था।

केशवदास मारूका मनसब बढ़कर डेढ़ हजारी होगया। यह मेढ़तिया राठोड़ोंमेंसे था और खामिभक्ति में अपने बराबरवालोंसे बढ़ गया था।

गयासवेगको जो कई वर्षोंतक ब्यूतात [कारखानों] का दीवान या सात सदीसे डेढ़ हजारी करके वजीरखांकी जगह आधे राज्यका वजीर किया और एतमादुद्दीलाका खिताब दिया। वजीरखांको सूवे बंगालका दीवान करके जमाबन्दी तय्यार करनेके लिये भेजा।

कुलीचखांको एक लाख रुपये और गुजरातका सूबा इनायत हुआ।

पितरदासको जिसे अकबर बादशाहने रायरायांकी पदवी दी थी। इस बादशाहने राजा विक्रमादित्यकी उपाधि देकर मीर- आतिश अर्थात् तोपखानेका अध्यक्ष बनाया और हुक्म दिया कि हमेशा अरदलीके तोपखाने में ५० हजार तोपची और ३ हजार तोपें तैयार रखे। वह खत्री था अकबर बादशाहने उसे हाथी- खानेको मुशरफी अर्थात् कामदारीसे बढ़ाकर अमौरीके पद तक पहुँचाया था सिपाही भी था और प्रवन्धकर्ता भी।

खान आजमके बेटे बैरमका मनसब दो हजारीसे अढाई हजारी होगया।

लाल छाप ।

बादशाहको यह इच्छा थी कि अपने और अपने पिताके सेवकों के परममनोरथ पूरे करे । इससे आज्ञादी कि उनमसे जो कोई अपनी जन्मभूमिको जागीर में चाहता हो वह प्रार्थना करें। उसे चंगेज खानी तौर और कानूनके अनुसार लाल छापका पट्टा कर दिया जावेगा जिससे फिर कुछ हेरफेर न हो।

बादशाह लिखता है कि हमारे बाप दादे जिस किसीको शासन देते थे। उसके पट्टे पर लाल छाप कर देते थे। यह लाल छाप