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जहांगीर बादशाह संवत् १६६२ ।

न्याय अदालत में न हो तो बादशाह को सूचना करने के लिये उसको हिला दिया करे।

बादशाह के बारह हुक्म।

फिर बादशाह ने यह बारह हुक्म अपने तमाम मुल्कोंमें कानून के तौर पर काम में लाने के वास्ते भेजे थे।

१—जकात(१) तमगा(२) मीरबहरी(३)के कर तथा और कितने ही कष्टदायक कर जो हर एक सूबे और सरकार के जागीरदारों ने अपने लाभ के लिये लगा रखे हैं सब दूर किये जावें।

२—जिन रास्तों में चोरी लूट मार होती हो और जो बस्ती से कुछ दूर ही वहां के जागौरदार सराय और मसजिद बनावें, कुए खुदावें, जिससे सराय में लोगों के रहने से बस्ती हो जावे । यदि वह जगह बादशाही खालिस के पास हो तो वहां का कर्म्मचारी काम करावे । व्योपारियोंका माल रास्तों में बिना उनकी मरजी और आज्ञा के नहीं खोला जावे।

३—बादशाही मुल्कों में जो कोई हिन्दू या मुसलमान मर जावे तो उसका माल असबाब सब उसके वारिसों को देदेवें कोई उसमें से कुछ न ले और जो वारिस न हो तो उस माल को सम्हाल के वास्ते पृथक भाण्डारी और कर्म्मचारी नियत कर दें। वह धर्म्म के कामों अर्थात् मसजिदों सरायों कूओं और तालाबोंके बनाने तथा टूटे हुए पुलों के सुधारने में लगाया जावे । ४—शराब और दूसरी मादक चीजें न कोई बनावे न बेचे।


(१) महसूल सायर (२) सुहराना (३) नदियों और समुद्र का कर।

  • इस जगह बादशाह लिखता है कि मैं आप शराब पीता हूं

१८ वर्ष के अवस्था से अब तक ३८ साल का हुआ पंसदा होता रहा।पहले पहले तो जब कि अधिक तृष्णा उसके पीने की थी कभी कभी बीस बीस प्याले दुआतिशा के पीजाता था। जब होते होते उसने मुझे दबा लिया तो मैं कम करने लगा। ७ वर्षसे १५ प्यालों से ५-६ तक घटा लाया हूं। पीने के भी