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जहांगीरनामा।

सुगंधसम्पन्न केसर के फूल के आकार का है। पर चपा रंग पीला सफेदी लिये हुए है उसका वृक्ष बहुत सुडौल बड़ा पत्तोंसे हरा भरा और छाया फैलानेवाला होता है। फूलों के दिनों में एक झाड़ ही सारी बाग को महका देता है। उससे उतर कर केवड़ेका फूल है। जो आकार और डौल में अनोखाही है। उसकी सुवास ऐसी तीव्र और तीक्षण है कि कस्तूरी के सुगन्ध से कुछ कम नहीं है।"

"फिर रायवेलका फूल खेत चमेली के जाति का है जिसके पत्ते दो तीन गुच्छों के होते हैं और एक फूल मौलसरीका है उसका झाड़ भी बहुत सुन्दर सुडौल और छायादार होता है। उसके फूल का सौरभ खूब हलका होता है।"

"एक फूल सेवतीका केवड़े की किस्म से है केवड़े में कांटे होते हैं सेवती में नहीं। उसका फूल पीलाई लिये होता है और केवड़ेका खेत--इन फूलों और चमेलो के फूलों से सुगन्धित तैल बनता है। और से फूल हैं जिनका वर्णन बहुत कुछ हो सकता है।"

"वृक्षों में सर्व सनूबर चिनार, सफेदार और बेदमूला जिनका हिन्दुस्थान में किसी ने खयाल भी नहीं किया था बहुत होने लगे हैं। चन्दन का वृक्ष जो टापुओं में होता था बागों में लगाया गया है।"

"आगर के रहनेवाले विद्याओं और कलाओं के सीखने में बहुत परिश्रम करते हैं विविध धर्म और पंथकी अनेक जातियों के लोग इस नगर में बसते हैं।"

न्याय की सांकल।

सिंहासनारूढ़ होते ही जहांगीर बादशाह ने पहला हुक्म न्याय की सांकल बांधने का दिया जो ४ मन(१) खरे सोने की बनाकर किले में शाहबुर्ज से लटकाई गई थी। उसका दूसरा सिरा कालिन्दी को कूल पर पत्थर को एक स्तम्भ पर रुपा था। यह सांकल ३० गज लम्बी थी। उसके बीच में ६० घण्टे लगे थे कि यदि किसी का


(१) ईरान का ३२ मन।