पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३३०

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जहांगीरनामा।

animaanaanamannaam जहांगीरनामा गांवों और आसपासके लोग उठे तो क्या देखते हैं कि घरोंके हारी पर एक लंबी चौकोरको शकल बनी है २ बड़े चक्र एक दूसरेके सामने, २ चक्र मझोले एक चक्र छोटा और फिर दूसरे चक्र जिन के बीच में सफेदी नहीं थी। यह शकलें सब घरों में होगई थीं और मसजिदोंमें भी। कहते हैं कि तभीसे मरीमें भी न्यूनता होगई है। बादशाह लिखता है कि यह वृत्तान्त बहुत विचित्र था इस लिये लिख दिया है परन्तु मेरी बुद्धि इसको स्वीकार नहीं करती है। रांजा जाम। १८ गुरुवार (फागुन सुदी १२) को २। कोस चलकर मही नदी के तट पर ठहरना हुआ। बादशाह लिखता है-इस दिन जमों- दार जामने जमीन चूमकर ५० घोड़े १०० मुहरें और १०० रुपये अट किये। इसका नाम जस्मा है जाम पदवी है जो कोई गद्दी पर बैठता है उसको जाम कहते हैं। यह गुजरात देशके बड़े नामो जमींदारोंमेंसे है। इसका देश समुद्रसे मिला हुआ है पांच छ; सहस्र संवार सदा अपने समीप रखता है। काम पड़ने पर दस हजार तक ला सकता है। इसको विलायतमें घोड़े बहुत होते हैं कच्छी घोड़ा दो हजार तकका होता है। मैंने इस राजा को सिरोपाव दिया। कूचबिहारका राजा , इसी दिन कूचके राजा लक्ष्मीनारायणने जो बंगालके कोने में है बादशाही चौखटको चूमकर ५०० मुहमें नजर कौं, खिलत और जड़ाऊ खंजर पाया। • सईदखांका बेटा नवाजिशखां जो जूनागढ़का हाकिम था उप- स्थित होकर जमीन चूमनेके सौभाग्यको प्राप्त हुआ। । १८ शुक्रवार (फागुन सुदी १३) को मुकाम रहा। २० शनि. वारको ३॥ 'कोस चलकर झनूदके तालाब और २१ रविवारको ४॥ कोस घर बदरवालेके तालाब पर मुकाम हुमा। यहां अजमतखां