पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३०६

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जहांगीरनामख।

२८० जहांगीरनामा। • नीमदह । २६ (पौष बदौ ५) रविवारको बादशाह पांच कोसका सफर करके गांव नौमदहमें ठहरा । सोमवारको भी पांचचौ कोस चला। और एक तालाबके निकट उतरा। सहरा। मंगलको पौने चार कोसको ही यात्रा हुई। गांव सहराके पास एक सरोवरो किनारे तव तने। कुमुदिनी और कमला। बादशाह लिखता है-कुमुदिनौ तीन रंगको होती है सफेद नीली और लाल । हमने सफेद और नौलो तो देखी थी लाल नहीं देखी थी। इस तालमें लाल फूलोंकी खिली कुमुदिनी देखने में आई। बहुतही कोमल और मंजुल फूल थे। कमलका फूल कुमुदिनीसे बड़ा होता है। उसका चेहरा लाल होता है। मैंने काशमौर में सौ सौ पंवड़ियों के भी कमल बहुत देखे हैं। यह बंधी हुई बात है कि कमल दिनको फूलता है और रातको बन्दं हो जाता है । कुमुदिनी दिनको बन्द होजाती है और रातको खिलती है। औरा सदा इन फूलों पर बैठता है और इनके भीतर जो मिठास होता है उसके चूसनेके लिये इनको नालियों में भी घुस जाता है। बहुधा ऐसा होता है कि कमल मुंद जाता है और औरा सारी रात उमौमें बैठा रहता है । इसी तरह कुमुदिनीमें भी । उनवी खिलने पर भौंरा निकलकर उड़ जाता है। ___ इसी वास्ते हिन्दुस्थानके कवीखरोंने बुलबलके समान उसको फूलका प्रेसी मानकर अपनी कवितामें उत्तम उत्तियोंसे उसका वर्णन किया है। ___ तानसेन कलावत मेरे बापको सेवामें रहता था वह अपने समय में अद्वितीयही नहीं था वरच्च किषी समयमें भी उनके तुल्य गया नहीं हुआ है। उसने अपने ध्रुपदमें नायिकाके मुखको सूर्यको, उसके आंख खोलनको कमलके खिलने और उससे भौंरके: उड़नेको