पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३०

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जहांगीरनामा।

पाया गया जैसा कि बादशाहसे कहा गया था तो उसको अपने दौलतखाने में जानेको छुट्टी होगई और उसके कुछ नौकर जो वादशाहके डरसे इधर उधर छुप गये थे फिर आकर अपना अपना काम करने लगे।

शाह सलीम रोज वापसे सलाम करने जाताथा और बाद- शाह भी उस पर बहुत मेहरवानी करता था।

इन्हीं दिनों में शैख हुसैन जामके खत शाहके पास पहुंचे जिनमें लिखा था कि मैंने शैख बहाउद्दीन वलीको खाब में देखा, कहते थे कि सुलतानसलीम अव जल्द तख्त पर बैठेगा और दुनियाको लाभ पहुंचावेगा।

एक अजब बात और हुई कि शाहसलीमके पास परांवार नाम एक हाथी बड़ा लड़ने वाला था। उससे लड़ सके ऐसा कोई हाथी वादशाही फीलखानेसें न था। मगर खुसरोके पास आपरुप नाम हाथी लड़ने में इक्का था। बादशाहने हुक्म दिया कि इन दोनोंको लड़ावें और खासके हायियोंसेंसे रणथंभण हाथीको मददके वास्ते लेआवें। जो हाथो हारे उसोको मदद वह करे। ऐसे हाथीको महावत लोग "तपांचा" कहते थे। यह बात भी लड़ाईके वक्त लड़ाके हाथियोंको अलग करनेके लिये बादशाहकीही निकाली हुई थी। ऐसेही चरखी उचारी, और लोहलंगर भी उन्होंने निकाले थे।

शाहसलीम और खुसरोने अर्जकी कि घोड़ोंपर सवार होकार पाससे तमाशा देखें। बादशाह भरोकेमें बैठा और शाहजादे खुर्म को अपने पास बिठा लिया।

जब लड़ते लड़ते गरांबार हाथीने आपरूपको दबा लिया तो रणथंभण उसकी मददको बढ़ाया गया। शाहके आदमियोंने महावतको रोका और कई पत्थर भी मारें जिनसे उसकी कनपटी में खून निकला पर वह हुक्मके मुवाफिक हाथीको बढ़ा ले गया।