पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२९

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शाहजादा सलीम ।

बुधवारकी रातको खबर आई कि मरयममकानीका हाल बिगड़ गया है हकीमोंने निरास होकर इलाज छोड़ दिया है। बादशाह फौरन लौटकर उसके पास आया अगर उसको जबान तब बन्द होगई थी।

१८ शहरेवर सोमवारको रातको मरयममकानीका देहान्त होगया। बादशाह और कई हजार अमीर, मनसबदार, अहदी और शामिर्दपेशोंने मुण्डन कराया। हजरत अपनी मांकी लाशको कंधे पर उठा कर कई कदम गये फिर ताबूतकों दिलो रवाने करके लौट आये। दूसरे दिन आपने मातमी कपड़े उतारकार पोशाक बदली और सबलोगोंको खिलबत पहिनाये क्योंकि दसहरे, का उत्सव था।

बेगमको लाश १५ पहर में दिल्ली पहुंची और वहां हुमायूं बादशाहके मकबरे में दफनको गई।

शाह सलीम यह खबर सुनतेही बापके रंजमें शरीक होनेके लिये आगरेमें पहुंच कर आदाब और तोरेका दस्तूर बजा लाया। बादशाह उसको छाती से लगाकर मिला खुशीको नौबतें झड़ीं सब लोगोंका दिल खुश हुआ। शाहने २०० मुहरें सौ सौ तोलेकी ९ मुहरे पचास पचास तोलेकी १ सुहर २५ तोलेकी और पांच दो दो तोलेकी नजर कीं। एक हीरा लाख रुपयेका और ४ हाथी पेशकश किये। फिर बादशाह खासोनाम दरगाह से उठकर महल में गया और कुछ बातें मेहरबानीको करके सलीमसे कहनेलगा बाबा ऐसा मालूम होता है कि जियादा शराब पीनेसे तुम्हारे दिमाग में खलल आगया है तुम कुछ दिन हमारे दौलतखानेमें रहो तो उसको दुरुस्तीका इलाज करें। यह कहकर उसको इवादतखानों बिठा दिया और भरोसेके खिदमत गारोंको निगहबानीपर मुकर्रर किया। सलीमकी मा बहनें हर रोज उसके पास आया करती थीं और तसल्ली देती थीं। जब१०दिन बीत गये और शराब पीने की आदतसे उसका कुछ पागलपन नहीं

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