पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२८९

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संवत् १६७४। २७३ ma- रोशनारा। इसी दिन रमजानको पहली तारीख और रविवार था। चार घड़ी ७ पल दिन चढ़े आसिफख की पुत्रीले खुर्रम के एक लड़की पैदा हुई जिसका नाम रोशनगारा रखा गया। जमीन्दार,जैतपुर पर चढ़ाई। जैतपुरका जमीन्दार मांडोंके पास रहने पर भी बादशाहको सेवामें नहीं आया था इसलिये बादशाहने फिदाईखांको कई मनसब- दारों और चार पांच सौ बन्दूकचियों सहित उसके देश पर धावा करनको आज्ञादी। - जयसिंहको मनमब'। - १६ (मादों सुदी ७) को राजा महासिंहके बेटे जयसिंहको जो - १२ वर्ष की अवस्था में था हजारो जात और पांचसौ सवारीका मनसब मिला। ... .":.: भोज भदौरिया. .. राजा विक्रमाजीत अंदौरियाके बेटे भोजने बापके मरे पीछे दक्षिणसे आकर मुजरा किया और एकसौ मोहरें भेट की। राजा कल्याण। -भादों सुदी ८ को अर्ज हुई कि राजा कल्याण उड़ीसासे आकर मुजरा करनेके विचारमें है। परन्तु उसको कुछ बुरी बातें बाद- शाहके सुनने में आई थीं इसलिये वह पुत्र सहित आसिफखांको उन वातोंका निर्णय करादेने के लिये सौंपा गया। ा चण्डू पञ्चाङ्गके अनुसार १: रमज़ान शनिको थी।

. तुज़ुक पृष्ठ १८१. में जसिंहको उमर बीस वर्षको और

यहां १२ वर्षको लिखी है दोनों में कौन, सही है इसका निर्णय प्राचीन जन्मपत्रियों के संग्रह में किया गया तो. जयसिंहका जन्म आषाढ़ बदी १ सं० १६६१ को होना पाया गया। इस लेखे से उसको अवस्था बारह वर्षको ही थी। बीस वर्ष लिखना भूल है।