पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२८४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जहांगीरनामा। . : मांडोंको हरियाली और फुलवार। . . .. . ___ बादशाह लिखता है-"हरयाली और बनस्पतिको बात क्या लिखी जाय सब पहाड़ और जंगल उप्तसे छिप गये हैं। मालूम नहीं कि पृथ्वी पर शीतल वायु और सुन्दर छटावाली कोई जगह मांडोंके समान हो। विशेषकर बरसातमें रातको रजाई ओढ़नी पड़ती है और दिन में पंखे या स्थान बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। इस विषयमें जितना लिखा जाय, उसको उत्तमताको देखते हुए थोड़ा है। यहां दो वस्तु एसो देखो गई जो हिन्दुस्थानमें मैंने कहीं नहीं देखी थीं। एक जङ्गलो केले जो इस किलेके पासके जंगनी में उगे हुए हैं, दूसरे समोले (खंजन) के घोंसले जिनका पता किसी चिड़ीमारने भी नहीं दिया था, जहां मैं रहता था वहीं उसका घोंसला था और दो बच्चे भी उसमें थे ! : ... . । .... . एतमादुद्दौलाको हाथो । .. ... .. .. १८ (सावन सुदी ८) को तीसरे पहर बादशाह वेगमों सहित शक्करतालाबके महल देखने गया जो पिछले पृथ्वीपतियोंके बनाये हुए हैं। रास्ते में जगजोत नाम एक खांसेका हाथी एतमादुद्दौलाको दिया। उसे पञ्जाबको सूवेदारी पहले मिल, गई थी पर हाथी नहीं मिला था जो सूबेदारको मिला करता था। . . . खास बादशाही कपड़े। .. .. . . जहांगीर लिखता है-"नीचे लिखे कईएक कपड़े मैंने शाही पोशाकमें दाखिल कर दिये थे और हुक्म देदिया था कि वैसे कपड़े बनवाकर कोई न पहने। केवल वही लोग उन कपड़ोंको पहनने पावें जिनेको मैं इनायत करू... ... .. १-दगला नादिरी यह कलां के ऊपर पहनां :जाता है। यह कमरसे नीचे जांघों तक लम्बा होता है। : इसके अस्तीने नहीं होती और इसका प्रांगा तुमसे बांधा जाता है। विलायतमें इसका नाम करदी था मैंने नादिरी रखा.... ... .

  • आचकन।