पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२७८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जहांगीरनामा। राजा भावसिंहका मनसब पांच हजारो और तीन हजार सवारोंका होगया। ____ अनीरायके मनसबमें भी पांच सदी जात, और एक सौ सवार बढ़े जिससे वह डेढ़ हजारो जात और पांच सौ सवारोंका मनसब- दार होगया। १८ (चैत्र सुदौ ३) शनिवारको तीन घड़ी दिन रहे मेख संक्रांति लगी। बादशाहने फिर राजसिंहासन पर सुशोभित होकर उत्सव किया। . .. ... .. .. . . . . . . . . . . . . . कैदीका भागना।. . . . . . . . . जब शाह नवाजखाने अंबरको लड़ाई में हराया तो उसकी सेनाके बाईस सिपाही पकड़े आये थे। उनमेंसे एक जो एतकादखां को सौंपा गया था पहरेवालोंको गफलतसे भाग गया । बाद- शाहने जमादारको सजा देकर तीन महीनेसे एतकादखांकी ड्योढ़ी बन्द कर रखी थी। अब वह एतमादुद्दौलाको प्रार्थनासे मुजरा करनेको आने पाया। ' संबेदारों को बदली। बंगालेका हाल और कासिमखांका चलन ठीक नहीं सुना गया था और बिहारके 'सूबेदार इब्राहीमखां फतहगने अच्छा प्रवन्ध करके होरकों खान भी बादशाही अधिकारमें करदी थी इस लिये बादशाहने जहांगीरकुलोको उसको जागौर सूबे इलाहाबादसे विहारमें और इब्राहीमखांके बिहारसे बङ्गालमें जाने और कासिम खांके दरबारमें आनेके हुक्म लिखकर सजावलोंके हाथ भेज दिये। ' २१ (चैत्र सुदौ ५) को ईरानका एलची मुहम्मदरज्जाक बिदा हुआ। उसको साठ हजार दरब * जो तोस हजार रुपयेके थे मिले। एक लाख रुपयेकी सौगात जो दक्षिणके दुनियादारोंके भेजे हुए जड़ाऊ पदार्थों और उत्तम बस्वोस सज्जित कीगई थी इसके साथ शाह अब्बासके वास्ते भेजी गई। __अठन्नीका नाम दरब था। . ..