संवत् १६७३ । NA~- सवारुका जिनेव। बादशाह लिखता है-"तम्बाके अवगुण देखकर मैंने हुवाम दिया था कि कोई आदमी उमला लेवन न करे और मेरे भाई बाब्बासने भी उनको वुगइयोंको जानकर ईरानमें अनाही कर दी थी। परन्तु पलानालमको तम्बाकूका व्यमन था इसलिये ईशानको दूत यादगारअन्ली सुलतानने शाहसे प्रार्थना की कि यनान- आलम दम भर भौ तम्बाकू विना नहीं रह सकता है। शाहने उमको अब.जी पर पद्यमें हुकम लिखा-"जो दोस्तका दूत तम्बाकू येना चाहता है तो उसको दोस्तीम आज्ञा देता हूं।" ३ फरवरदीन (चैत्र वदी १) को बंगालेके दीवान इमैनबेगने मुजरा करके १२ हायो भेट किये और वहां के बखशी ताहिरने भी जिन पर कई कुसूरोने कारण बादशाहका कोप था २१ हाथी भेट दिये उनमेंसे १२ पसन्द होकर रख लिये गये। ४ (चैत्र बदौ २) को बादशाहने किले के शकर तालाब पर एक बड़ा सिंह जिसने १२ अहदियों और अरदलीवालोंको घायल किया था तीन गोलियों में मारा। ८ (चैत्र वदौ ७) को शाह खुर्रमको अर्जीसे खानजहांका मन- सव छः हजारो जात और छ: हजार सवारोंका होगया ऐसेही और भी कई अमीरोंके मनसब बढ़ाये गये। . ईरानका दूत । __११ (चैत्र बदौ ८) को ईरानका दूत हुसैनबेग तबरेजी जिसे शाहने गोल कँडेके हाकिमके पास भेजा था और जो कजलबाशों और फरंगियों में झगड़ा होनेके कारण समुद्रका मार्ग बन्द होनेसे वापिस न जासका था। गोलकुंडेके वकीलके.साथ बादशाहको सेवा में आया। दो घोड़े और कुछ कपड़े दक्षिण तथा गुजरातके उसने अट किये। १५ (चैत्न बदौ १३) को एक हजारो जातक बढ़ जानसे मिरजा
पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२७७
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।