संवत १६७३। २५८ चीतन्ज सिंह २ हरन नीलगाय २७ खरगोश और लोमड़ी २३ ६ जलमुर्गी और दूसरे जन्तु १२०० बादशाह लिखता है कि जिन रातोंमें मैं पिछले शिकारों और उसकी रुचिकी बातें उन लोगोंसे कह रहा था जो राजसिंहासनके नीचे खड़े थे, तो मेरे मन में पाया कि क्या होश सम्हालनेसे अबतक अपने शिकारको संख्या हस्तगत कर सकता हूं। इसकी वास्ते मैने समाचार लिखनेवालों, ऋगयाध्यक्षों, शिकारियों और इस खातके कर्मचारियोंको हुक्म दिया कि निर्णय करके जितने जानवर शिकार हुए ही वह सब मुलाको सुनावें। मालूम हुआ कि मेरी १२ वर्ष की अवखासे जबकि हिजरी सन् ८८८ (संवत्१६३७) था इत्त वर्षके समाप्त होने तक जो ११वां वर्ष मेरे राज्याभिषेकका है और मेरो अवस्था ५० वर्षको चांद्रमासके लेखेसे हुई है २८५३२ जानवर मेरे सामने शिकार हुए हैं जिनमेंसे १७१६७ जानवर मैंने वन्टूक आदि शरनों इस प्रकार मार हैं- बनचर पशु २२०३ जिनका व्योरा यों है। सिंह रोछ, चौत, लोमड़ी; ऊदबिलाव. जरख नीलगाय ८८८ म्हा-जो गेंडेको जातिसे नीलगायके बराबर होता है ३५ हरन चिकार चौंतल पहाड़ी बकर आदि . १६७० मेढ़े और लालहरन" . ' भेड़िये . जंगली भैंसे सूर' : : जंग : . . . पहाड़ो मेढ़े अरगलौ ANA Pune . -NN.
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