पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२६३

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संवत् १६७३।

२४७ संवत् १६७३। मह है हिन्दुओं पूज्य त्याजामौ रक यह भी है। राजा विक्रामा- नीत जिलजे सगोलका शोधन कराया था इमो नगर और देश में हुधा है। उस समय से अबतक कि हिजरी सन् १०२६ है और ११ वर्प मेरे राज्याभिषेकको हुए हैं १६७५ वर्ष बीते हैं। हिन्दु- न्यानो ज्योतिषियोंका अाधार उसो शोधन पर है। सपरा नदी। यह नगर नपरा नदी पर बसा है हिन्दुओं का ऐसा विश्वास है कि माल मरमें एक बार जिसका कोई दिन निश्चित नहीं है इस नदीका पालो दूध होजाता है। मेरे पिताके तमयमें शेख अबुल- फजल न आई शाहमुरादको सम्हालके वास्ते यहां भेजा गया था। तब उसने इस शहरसे अर्जी लिखी थी कि बहुतमे हिन्दू मुसलमानी ने शाक्षी दी है कि मेरे आजैसे पहिले एक रातको यह पानी दूध होगया था। उस रानिमें जिन लोगोंने उस पानीको भरा था तड़के उनके घड़ों में दूध था, परन्तु मेरी बुद्धि इस बातको नहीं मानती है।" ___जदरूप सन्चासी। बादशाह लिखता है-“२२ असफन्दार (माव सुदी १५) को नाव बैठकर मैंने कालियादहसे प्रयाण किया। यह बात अनेक बाद सुनाई गई थी कि जदरूप नाम एक तपस्वी सन्यासी कई वर्षों से उज्ज नसे कुछ दूर जङ्गलमें अगवन् भजन करता है। मुझे उसके मत्सङ्गको बड़ी इच्छा थी। जब मैं प्रागरे में था तो चाहता था कि उसको बुलाकर मिलूं परन्तु उनकी तकलीफामा विचार करके नहीं बुलाया था। अब उज्ज न पहुंचकर नावसे उतरकर आधपाव कोस. पैदल उसके देखनेको गया। वह एक गुफामें रहता है जो एक गज लम्बी दस गज चौड़ी एक टेकरीम खुदी हुई है। पहला हार उसमें जानेको महराबके आकारका है। यहांसे उस गढ़े तक किं जिसमें वह बैठता है दो गज पांच गिरह लम्बाई और सवा ग्यारह गिरह चौड़ाई है. और ऊंचाई धरतीसे छत तक एक गज