पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२६१

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संवत् १६७३। २४५ reamworrrrrrrmmmmmmmmmmmmmmmmm दुधारिया ! २२ (माव मुदी ३) को तीन कोत आध पाव चलकर बाद. आह नवलखेडीमें ठहरा। २३(७) को पांच कोस चलकर कामि- अखड़े में उतरा। एक सफेद जानवर मारा जिसके सिर पर चार सींग थे। दो तो आंखोंके पिछले कोयोंके पास दो दो उनल ऊंचे थे। बाकी दो जो पहलेसे चार उङ्गल पीछेको थे चार चार ङ्गल जंचे थे। हिन्दुस्थानी इसको दुधारिया कहते हैं। नरके चार सींग होते हैं मादाके सींग नहीं होते। ___ लोग कहते थे कि इसके पित्ता नहीं होता। बादशाहने चिरवा कर देखा तो पित्ता या। लोगोंका कहना झूठ निकला। कुलोचहां। २५ (माघ सुदी ८) को बादशाहने कुलीचखांके भतीजे मालजू को दो हजारो जात दो हजार सवारका मनसब और कुलोचखां का खिताब देकर अवधसे जहां उसको जागीर थी बङ्गालमें भेज दिया। ____२६ (माघ सुदी ) को सवारी ४॥ कोस चलकर काजियोंके गांवमें उतरी जो उज्ज नो पास था। यहां बहुतसे वृक्ष आमोंके बौराये हुए थे और डेरा नदौके तट पर बहुत सुन्दरतासे लगाया गया था। पहाड़ जालौरीको प्राणदण्ड । गजनीखांका वेटा पहाड़ इस स्थान पर मारा गया। बादशाह लिखता है-“इस कुपात्रको मैंने उसके बापके मरे पछि कपाकरके जालौरका किला और इलाका जो इसके बाप दादाका संस्थान था इनायत किया था। यह बालक था। इसकी माता इसे कई बुराइयोंसे बचानेको चेष्टा करती थी। इससे इस कलौने एक रात कई नौकरी के साथ अपनी जननीके घरमें जाकर उसे अपने इथिमे मारा। यह खबर जब मुझे मिली तो मैंने उसे बुलाया और अपराध साबित होने पर प्रापदण्डका हुका दिया। .