२४४ । जहांगीरनामा। कोला जो नारगोस छोटा, बहुत मोठा और बङ्गालमें अच्छा होता है।" ..... . . .... .. बादशाह लिखता है-"इन न्यामतोंका शुक्र मैं किस जबानसे अदा करू। मेरे बापको मेवेका बहुत शौक था खासकरके खरबूजे अनार और अंगूरका। . उनके समयमें हिरातको उत्तम खरबूजे यज्दके अनार, जो जगत प्रसिद्ध हैं और समरकन्दके अंगूर हिन्दु- स्थानमें नहीं आये थे। यह मेवे देखकर अफसोस होता है, कि उस समयमें आते तो वह भी इनका स्वाद लेते।" . 1. :१६ (माधं बदौ १३१४) को कूच होकर डेढ़ पाव चार कोस पर गांव गिरीमें बादशाहको सवारी ठहरी। यहां बादशाहने बंदूकसे एक शेरबबर मारा। इस सिंहको वीरता बहुत. मानी जाती है इसलिये बादशाहने.उसका पेट चिरवाकर देखा। और सब पशुओंका पित्ता तो कलेजेके बाहर होता है पर इसका कलेजेके भीतर या इससे उसने अनुमान किया कि इसको वीरता इसी कारणसे होती है।
- १८ (माघ सुदी १) को २॥ कोस पर गांव अमरियामें डेरा
हुआ दूसरे दिन बादशाह शिकारको गया तो दो कोस पर एक गांव बहुत सुन्दर और सुथरा मिला। एक बागमें आमके एक सौ पेड़ इतने बड़े और डहडहे थे कि वैसे कम देखे गये थे उसी बागमें एक बड़ भी बहुतही बड़ा था । बादशाहने उसको नपवाया तो वह जमोनसे ७४ गज ऊंचा और १७५॥ गज चौड़ा निकला। तनेकी गोलाई:४४॥ गजकी थी। ___एतमादुद्दौलासे परदा न करनेका हुक्म। २० (माघ युदौ ३) को कूच और ४ को मुकाम हुआ। एत- मादुद्दौलाके घरमें खाजा खिजरका उत्सव था। बादशाह भी वहां गया और खाना खाकर एक पहर रात गये लौट आया। एतमा- दुद्दौलासे कुछ भेद भाव नहीं रहा था। इसलिये बादशाहने बेगमों को उनसे मुंह न छिपानेकी आज्ञा देकर उसकी और प्रतिष्ठा बढ़ाई।