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संवत् १६७३!

८-जड़ाऊ कटार।

इस प्रकार खुर्रमने बड़ी धूमसे दक्षिणके देशोंके जीतनेको प्रयाण किया।

उसके साथियों को भी यथायोग्य घोड़े और सिरोपाव मिले।

अवटुल्लह फौरोजजङ्गको बादशाहने अपनी कमरसे तलवार खोल कर इनायत की।

चोरोंको दण्ड और नवलका हायौसे लड़ना।

कई धाड़ी कोटवालोके चबूतरे पर धाड़ा डालकर बादशाही खजाना लूट लेगये थे उनमेंसे सात आदमी कुछ रुपयों सहित पकड़े आये। बादशाहने सबको तरह तरहका दण्ड दिया। जब उनके सरदार नवलको हाथोके पांवों में डालने लगे तो उसने अर्ज को कि हुक्म हो तो मैं हाथोसे लड़। बादशाहने कहा ठीक है। एक मस्त हाथी भंगाकर नवलके हाथ में कटार दिया और हाथोके सामने किया। हाथीने कई बार उसको गिराया तो भी वह निडर बौर अपने साथियोंको भांति भांतिके कष्टोसे मरते देखकर भी पांव रोपकर दृढ़तासे मरदांना हाथोके संड पर कटारें मारता रहा। हाथीको ऐसा वेबस कर दिया कि वह उसपर हमला करनेसे . रुककर खड़ा होगया। बादशाहने उसको बहादुरी और मर- दानमो देखकर पहरमें रखनेका हुक्म दिया। परन्तु थोड़ेही दिनों में वह दुष्टतासे अपने घरको भाग गया। बादशाहने इस बातसे अग्रसन्न होकर उधरके जागीरदारोंको उसे ढूंढकर पकड़नेका हुक्म लिखा। दैवयोगसे वह फिर पकड़ा आया। बादशाहने उसका सिर उड़वा दिया।

बादशाहका अजमेरसे कूच।।

१ जीकाद २१ आबान (कार्तिक सुदी ३) शनिवारपा. को दो पहर पर ५ घड़ों दिनं आये बादशाहने चार घोड़ोंके फरंगी रथ


पा तुजुक पृष्ठ १६८ में भूलसे संगल लिखा है।