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जहांगीरनामा।

१८/८ (कार्तिक बदी ८) को, राजा सूरजमलका मनसब दो हजारो जात और दोसौ सवारोंका होगया। वह शाहजादेके साथ भेजा गया था।

उल का शिकार।

१८ आबान (कार्तिक सुदी १) को छः घड़ी रात गये एक उल्ल, महलको ऊंची छत पर आकर बैठा जो बहुत कम दिखाई देता था। बादशाहने बन्दूक मंगाकर जिधर लोग उसको : बताते थे छोड़ी। उल्ल के टकड़े टुकड़े उड़ गये। इस पर सब लोगोंने जिनमें ईरानका दूत रजावेग भी था बड़ा आनन्द-घोष किया।

शाह ईरानका बेटेको मारनेका कारण ।

इसी रातको बादशाहने बातोंही बातों में सफीमिरजाके मारनेका . कारण पूछा तो वजावेगने कहा कि वह बापके मारनेके विचारमें था। उन दिनों में वह न मारा जाता तो शाहको मार डालता। यही जानकर शाहने उसको मरवा डाला।

२० शुक्रवार (कार्तिक सुदी २) को खुर्रमके बिदा होनेका मुहर्त था इस लिये वह अपने सजे हुए सेवकोंको लेकर राजभवन में सुजरा करने आया। बादशाहने अति अनुग्रहसे उसको इतनी चीजें दीं-

१-शाह सुलतान खुरंमका खिताब।

२-खिलअत ज़ड़ाज चार कुब्बका जिसके दामन और गिरेबान में मोती टंके हुए थे।

३-एक इराको घोड़ा जीन सहित।

४-एक तुरको घोड़ा।

५-खासेका बंसोबदन नामक एक हाथी।

६-रथ अगरेजी चालका बैठकर चलनेके लिये।

७-जड़ाऊ तलवार खायेके परतले सहित जो अहमदनगरको पहली जीतमें हाथ आई थी और: जिसका. परतला. बहुत उमदा और नामी था।: