खानदौरां।
खानदौरांने पठानोंका बलवा मिटाने में बड़ा परिश्रम किया था इसलिये उसको लाहोरके खजानेसे तीन लाख रुपये इनाम और मदद खर्चके दिलाये गये।
कंवर कर्णको विदाई।
२८ (जेठ सुदी २) को कुंवर कर्ण अपना विवाह करनेके वास्ते बिदा हुआ। बादशाहने खिलअत खासा इराकी घोड़ा जीन सहित, हाथी और जड़ाऊ परतला तलवारका उसको दिया।
सुरतिजाखां और सैफखांकी मृत्यु।
३ खुरदाद (जेठ सुदी ७) को मुरतिजाखांके मरनेकी खबर पहुंची। बादशाह सुनकर दुःखी हुआ क्योंकि वह अकबर बादशाह के समयका नौकर था। खुमरोके पकड़नेका बड़ा काम इसी ने किया था। छः हजागे जात और पांच हजार सवारके मनसब को पहुंचा था। इन दिनों में किले कांगड़ेके फतह करने में लगा हुआ था।
७ (जेठ सुदी ११) को सैफखां बारहके भी मरनेकी खबर दक्षिणसे पहुंची, वह हैजैसे मरा था। उसने भी खुसरोंके पकड़ने में परिश्रम करके तरक्की पाई थी। बादशाहने उसके बेटे अली मुहम्मद और बहादुरको मनसब दिया और भतीजे सय्यदअलीका मनसब बढ़ाया। शहबाजखां कम्बोके बेटे खूबउल्लहको रणबाजका खिताब मिला ।
राजा विक्रमाजीत।
८ (जेठ सुदी १२) को बांधोंगढ़के राजा विक्रमाजीतने खुरमके वसीलेसे दरबारमें आकर मुजरा किया। बादशाहने इसके अपराध क्षमा कर दिये। इसके बाप दादे हिन्दुस्थानके नामी राजाओं मेंसे थे।
कल्याण जैसलमेरी।
2 (जेठ सुदी९३) को कल्याण जैसलमेरीने जिसके खाने के लिये