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जहांगीरनामा।

शाह एतमादुद्दौलाके घर गया और उसकी भेटका एक एक पदार्थ देखकर दो मोती तीस हजार रुपयेके एक लाल बाइस हजार रुपये का तथा और भी कई लाल और मोती एक लाख दस हजार रुपये के और पन्द्रह हजार रुपयेके कपड़े पसन्द करके लेलिये। भेंट लेनेके पीछे बादशाह पहर रात गये तक वहां बैठा। सुन्दर सभा जुड़ी थी जो अमौर और अनुचर सेवामें थे उनको प्याले. देनेका हुक्म हुआ। महलके लोग भी साथ थे।

सभा विसर्जन होने पर बादशाह एतमादुद्दौलासे विदा होकर राजभवनमें आगया।

नूरमहलसे नूरजहां बेगम।

इन्हीं दिनों में बादशाहने हुक्म दिया कि नूरमहल बेगमको नूरजहां बेगम कहा करें।

१२ (चैत्र सुदी १४) को एतबारखाँको भेट हुई उसमेंसे बाद- शाहने छप्पन हजार रुपयेके वाहिर और जडाऊ पदार्थ लिये। जिनमें मछलोके आकारका एक जड़ाज बर्तन बहुत सुन्दर और सुडौल बादशाहके नित्यप्रति पौनेको मदिराके अन्दाजका था।

कन्धारके हाकिम बहादुरखांके भेजे हुए सात इराकी घोड़ और नौ थान कपड़ोंके पहुंचे।

१३ चैत्र सुदी १४) को इरादतखां और राजा बासूके बेटे सूरजमलको भैष्ट आई।

१५ (बैशाख बदौ २) कोठंडे की सूवेदारी शमशेरखासे उतरकर मुजफ्फरखांको मिली।

१६ (बैशाख बदौ ३) को एतमादुद्दौलाके बेटे एतकादखांको भेट बादशाहको दिखाई गई उसमेंसे बत्तीस हजार रुपयेकौ चौजें बादशाहने उठाई।

१७ (बैशाख बदौ ४।५) को तरबीयतखांको भेट बादशाहने देखो। उसमेंसे सतरह, हजार रुपये जवाहिर और कपड़े पसन्द किये।