पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२२३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०७
संवत् १६७२।

वर्षका या आकर बादशाहसे मुजरा किया। अपने पिता और दादा राणा अमरसिंहकी अर्जी पेश की। बादशाह लिखता है कि कुलीनता और बड़े घर में जन्मनेके चिन्ह उसके चेहरेसे पाये जाते हैं। मैंने सिरोपाव और मधुर वाक्योंसे उसका चित्त प्रसन्न किया।

राजा नशामल।

५ अमरदाद (सावन सुदी ३) को राजा नथमलके मनसब पर जो डेढ़ हजारो जात और ग्यारह सौ सवारोंका था पांच सदी जात और एक सौ सवार बढ़ाये गये।

केशव मारू।

७ (सावन सदौ ५) को कोशव मारूने आकर मुजरा किया। ४ हाथी नजर किये। इसको सरकार उड़ीसमें जागीर दीगई थी परन्तु वहांके सूबेदारने शिकायत लिखी थी इसलिये वादशाहने उसे बुला लिया।

खानजहां लोदी।

८ (सावन सुदी ६) शुक्रवार को खानजहां लोदीने दक्षिसे उपस्थित होकर एवा हजार मोहर एक हजार रुपये नजर और चार लाल, एक पजा जड़ाऊ फूल कटारा और २० मोती सेट किये। यह सब चीजें पचास हजार रुपयेको थीं।

सावन मुदी ८ रविवारको रातको बादशाह खाजाजीके उर्समें गया। आधीरात तक रहा। छः हजार रुपये कुछ कुरते मोती मूंगे और कहरूबाईको ७० मालायें अपने हाथसे मुजावरीको दे पाया।


  • असल.पोधोके पृष्ठ १४५ में मंगल ८ तिथिको गलत लिखा है

शुक्र चाहिये। क्योंकि धागे उर्स रविवार (६ रज्जव) को लिखा है वह सही है।

श्री एन प्रकारको मणि।