पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२२

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जहांगीरनामा।

सवारों और जंगी हाथियोंसे आगरेको रवाना हुआ। जाहिरमें वापसे मिलनेकी बात थी। पर दिलमें इरादा औरही था।

बादशाह भी इस धूमधड़ाकेसे उसका आना सुनकर बहुत घबराया ।

इटावा आसिफखां दीवानको जागीरमें था। सलीम जब वहां पहुंचा तो दीवानने एक लाल सलीमको नजरके लिये भेजा। आसिफ खां अकबरको सलोमको ओरसे बहकाया करता था इससे सलीम का आना सुनकर मारे डरके वह घबरा गया। पर लालसे बला टल गई। क्योंकि वहीं बादशाहका फरमान पहुंचा। उसमें लिखा था कि बापके घर बेटेका इतने हाथी और सेना लेकर आना बापके जीको औरही विचारमें डालता है। यदि अपने लशकरको हाजिरी देना चाहते हो तो हाजिरी होगई। अपने आदमियोंको जागीरके इलाकोंमें भेजकर अकेले आओ। यदि इधरसे पूरी तसल्ली न हो तो इलाहाबादको लौट जात्रो। जब दिलजमई हो जावे तब आना।

यह फरमान पढ़कर सलीमने अकबरको अर्जी भेजी कि यह गुलाम बड़े चावसे चौखट चूमने आता था। फसादियोंने गुलाम की ओरसे हजरतको बदगुमान करके कुछ दिनके लिये सेवासे अलग रखा। खैर मेरी अधीनता हजरतके दर्पणसे साफ हृदय में आपही दरस जावेगी।

सलीम कुछ दिनों तक इटावे में रहकर इलाहावादको कूच कर गया। पीछेसे अकबरका दूसरा फरमान पहुंचा कि हमने बिहार और बंगालेके सूबे भी तुम्हारी जागौर में दे दिये हैं अपने आदमी भेजकर अमल दखल करलो। पर सलीमने उधर लशकर भेजना उचित न देखकर इनकार लिख भेजा और इलाहाबाद पहुंचकर बादशाही करनी शुरू करदी। अपने नौकरोंको खान और सुल- तानक ताब देदिये । उससे और तो सब बादशाही नौकर मिले हुए थे पर शैख अबुलफजल वजीर नहीं मिला हुआ था। बादशाह