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जहांगीरनामा।

रातोंको सेवामें रहता था और, आदिलखांके बनाये हुए ध्रुपद जिनका नाम उसने नवरस रखा था सुनाया करता था।

एक विचित्न पक्षी।

इन दिनों में जेरबाद देशसे एक पक्षी बादशाहके पास लाया गया जिबका रंग तोतेकासा था परन्तु आकार में उससे छोटा था। उसमें विशेष बात यह थी कि जिस लकड़ी या वृक्षको शाखा पर उसे बैठाते उसको वह एक पांवसे पकड़कर औंधा लटक जाता और सारी रात गाया करता। जब दिन निकलता तो.फिर उस शाखा पर जा बैठता। बादशाह लिखता है कि लोग पशु पक्षियोंकी भी एक तपस्या बताते हैं। पर इसका यह काम स्वाभाविक जाना जाता है।

वह पक्षी पानी नहीं पीता था जो और सब जीवोंके वास्ते जीवनका मूल है. वह इसके लिये विष था।

राणाका अधौन होना।

इन्हीं दिनों में बादशाहको लगातार कई बधाइयां पहुंचीं जिनमें मुख्य राणा अमरमिंहके अधीन होजानेको थी। खुर्रमने जगह जगह और विशेष करके उन कई स्थानों में जहां जल वायुके विकार और विकट घाटियोंको कठिनतासे लोग थानोंका बैठना संभव नहीं समझते थे थाने बैठाने शिशिर ग्रीष्म और पावस ऋतुमें भी सेनाके पीछे सेना दौडाने तथा वहांको अधिक प्रजाके बालबच्चे पकड़ लेनेसे रानाको ऐसा कायर कर दिया था कि उसको यह निश्चय होगया कि जो इस दशामें कुछ दिन और बीतेंगे तो या तो मैं अपने देशसे निकाला जाऊंगा या पकड़ा जाऊंगा।


  • नवरस इब्राहीम आदिलखांके ग्रन्थका नाम है जिसमें संगीत

का विषय है। जहरी नाम मुसलमान कविने. इसको व्याख्या में एक काव्य फारसी भाषाका रचा है आदिलखां गानविद्यामें निपुण था।