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जहांगीरनामा।

लोग उसके पास जाते हैं उनके हाथमें मुट्ठीभर घाटा देकर उस जानवरकी बोली बोलनेको कहता है जिसको उसने कभी सताया हो। ऐसा करनेसे पापको निहत्ति होजाती है।

बादशाहने उस स्थानको गिरवाकर योगीको निकलवा दिया और मूर्ति जो वहां थी तुड़वा डाली। फिर यह सुनकर कि तालाब की गहराईका पता नहीं है निर्णय किया तो कहीं भी बारह गज से अधिक गहरा नहीं निकला। उसके घेरेको भी नपवाया तो डेढ़ कोसका हुआ।

शिकार।

१६ (पौष बदौ १२) को खबर पहुंची कि शिकारियोंने एक सिंहनीको घेर रखा है। बादशाह गया और उसको बन्दूकसे मार कर आगया।

फरंगियोंका अत्याचार।

इस महीने में खबर पहुंची कि गोवा बन्दरके फरंगियोंने बचन छोड़कर सूरत बन्दरके आनेवाले जहाजोंमेंसे चार परदेशी जहाजों को लूटा और बहुतसे मुसलमानोंको पकड़कर उनके जहाजीका सब मालभी लेलिया। यह बात बादशाहको बुरी लगी। १६ आजर (पौष बदी १४) को उसने लुटेरोंको दण्ड देनेके लिये मुकर्रबखांको हाथी घोड़ा और सिरोपाव देकर बिदा किया।

खुर्रमका राना पर जाना।

बादशाहका मूल अभिप्राय इस यात्रासः रानाको. अंधीनः करने का था इस लिये आप तो अजमेर में ठहर गया। और खुर्रमको आगे भेजने का विचार करके ६ दे (पौष सुदी १५) का मुहूर्त निक- लवाया। उस दिन उसको जरोको सिलो हुई जड़ाऊ फूलोको वाबा(१) जिन फूलोंको कोरों पर मोती टंके हुए थे, जरीका चौरा मोतियोंकी लड़ियोंदार - जरीका .. पटका. .::, मोतियोंकी झालरका, फतहगज, नाम खासेका हाथी : तलापर सहित,


(१) अचकन।