पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१७५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१५९
संवत्१६६९।

हुआ यह दो वर्ष पहले भी आया या बादशाइने खिलअत शाही घोड़ा और खांडा दिया।

ठट्ठा।

२ शहरेवर (भादों सुदी १३) को बादशाहने मिरजा रूस्तम मफवीको खासेका हाथी जड़ाऊ जीनका घोड़ा जड़ाऊ तलवार भारी सिरोपाव और पांच हजारी मनसब देकर ठट्ठे (१)को सूवेदारी पर भेजा और उसके बेटे भतीजोंको भी मनसब बढ़ाकर और हाथी घोड़े खिलअत देकर उसके साथ किया।

राय दलपत।

राय दलपतको बादशाहने मिरजा रुस्तमके सहायकोंमें इस हेतुसे नियत किया कि इसका देश उसी दिशामें है अच्छी सेना सेवाके वास्ते देगा। दलपतका मनसब पांच सदी जात और पांचसौ सवारों के बढ़नेसे दो हजारी जात और दो हजार सवारोंका होगया।

नागपुर।

अबुलफतह दक्षिणीको नागपुर में जागीर मिली।

तुलादान।

१७(२) रज्जब २२ शहरेवर (आश्विन बदी ३) बादशाहकी सौर वर्षगांठका तुलादान मरयममकानीके महल में हुआ।

उसमान पठानके भाई बन्द।

बंगालका दीवान मोतिकिदखां पदच्युत होकर आया। उसके साथ इसलामखांने उसमानके भाई बेटों और कुछ सेवकोंको भेजा था बादशाहने एक पठानको अपने एक विश्वासपात्र चाकरकी चौकसीमें रख दिया।


(१) छापेकी तुजुक जहांगीरीमें ठट्ठे की जगह भूलसे पटना छप गया है।

(२) पञ्चांगकी गणितसे १६।