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जहांगीरनामा।

भेजे गये जो अबदुल्लहखां फीरोजजंगकी अफसरीमें दक्षिण जानेको नियत हुई थी।

शिकार।

१ दे (पौष बदी ३) को बादशाह समू नगरमें शिकार खेलने गया। दो दिन दो रात वहां रहकर रविवारकी रातको शहरमें आगया।

बादशाहकी कविता।

बादशाहने फारसी भाषाका एक शेर बनाया और चरामचियों तथा कहानी कहनेवालोंको याद कराकर फरमाया कि सलाम करने तथा कहानी कहते समय इसको पढ़ा करें। जिससे वह शेर बहुत प्रसिद्ध होगया। उसका यह आशय था—

जब तक आकाशमें सूरज चमकता है।
उसका प्रतिबिम्ब बादशाहके छचसे दूर न हो।

३ दे (पौष बदी ५) शनिवारको खानआजमकी अर्जीमें लिखा आया कि बीजापुरवाला आदिलखां अपने अपराधोंसे पछताकर पहलेसे अधिक आज्ञाकारी और शुभचिन्तक होगया है।

बादशाहकी धर्म्मनिष्ठा।

बादशाहने हुक्मदिया कि बादशाही शिकारके हरनोंके चमड़ेकी जानमाजें(१) बनाकर दीवान खास और आममें रख छोड़ें उन पर लोग नमाज पढ़ा करें। मीरअदल और काजीसे जो धर्म्माधि- कारी थे धर्म्मको प्रतिष्ठाके लिये फरमाया कि जमीन चूमकर मुजरा न किया करें। क्योंकि वह एक प्रकारकी दण्डवत है(२)।

शिकार।

समूनगरमें बहुतसे हरन इकट्ठे होगयेथे इससे बादशाहने ख्वाजेजहां


(१) जिसको बिछाकर नमाज पढ़ते हैं।

(२) मुसलमानी मतमें परमेश्वरके सिवा और किसीको दण्डवत करना मना है।