लिखा या लिखाया हुआ नहीं था। पोथी अधूरी थी शाहजहांके समय में मिर्जा हादी(१) ने पिछला हाल संक्षिप्त रीतिसे लिखकर पूरी की। इस पोथीको भूमिका भी उसी मिर्जा हादीको लिखीहुई है। उसमें जहांगीरके बादशाह होनेसे पहलेका हाल है।
अपना रोजनामचा आप लिखनेको चाल जहांगीरके घराने में ९ पीढ़ी पहलेसे चली थी। अमीर तैमूर साहिबकिरां जहांगीर का आठवीं पीढ़ीमें दादा था। उसने अपनी दिनचर्य्या जन्मकालसे मरण पर्य्यन्त लिखकर अपने सिरहाने छोड़ी थी। वह तुर्कीभाषा में है। उसका अनुवाद फारसी और उर्दू में भी होगया है। उसका नाम तुजुकतैमूरी है।
दूसरी दिनचर्य्या बाबर बादशाहकी है जो तुजुकबाबरी और वाकआत बाबरीके नामसे प्रसिद्ध है। बाबर जहांगीरका परदादा था। उसका तुजुक भी तुर्कीभाषामें है। उसके फारसीमें दो अनु- वाद हुए हैं एक ईरानमें मौलाना जैनुहीन खवाफीन किया और दूसरा हिन्दुस्थानमें मिर्जा अबदुर्रहीम खानखानांने किया।
तीसरी दिनचर्य्या यह जहांगीर बादशाहकी है। इसका ढङ्ग तुजुक बाबरीसे बहुत मिलता जुलता है। इतिहासके सिवा विद्या विज्ञान खगोल भूगोल काव्य कला राजनीति और लौकिक रीति आदि दूसरी दूसरी उपयोगी बातें जैसी बाबरके तुजुकमें हैं वैसीही वरञ्च उससे भी बढ़कर जहांगीरके तुजुकमें हैं। कारण यह कि हिन्दुओंको धर्म्मनीति चालढाल आचार व्यवहार तथा भारतको रीति भांति और प्रकृतिसे, अपने परदादाको अपेक्षा जहांगीर अधिक जानकार होगया था। इसीसे उसने इन सब बातोंका वर्णन यथा प्रसङ्ग बाबरसे अच्छा किया है।
(१) पिछला हाल जो मिरजाहादीने लिखकर लगाया है "इक- बाल नामये जहांगीरी" से लिया हुआ जान पड़ता है। इकबाल- नामा भी मोतमिदखां बखशीने शाहजहांके समयमें पूरा किया था।