पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१५

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॥श्री॥

जहांगीरनामा ।


भूमिका।

मैंने पहले अकबर बादशाहका संक्षिप्त इतिहास लिखा था और पीछे शाहजहां बादशाहका, उन दोनों बादशाहोंके बीच में जहांगीरने बादशाही की है उसका इतिहास बाकी था। वह अब लिखकर हिन्दुस्थानके उत्ता तीन नामो मुगल बादशाहोंके इतिहास का सिलसिला पूरा कर दिया जाता है।

अकबर और शाहजहांके इतिहास उनके नौकरोंके लिखे हुए हैं। उनमें कुछ कुछ खुशामद और अत्युक्ति भी है। पर जहांगीर ने अपना इतिहास आप लिखा है और ठीक लिखा है। क्योंकि नौकर लोग कभी किसी बादशाहके घर दरबार राज्यकार्य स्वभाव आदिको बातें वैसी खुलकर नहीं लिख सकते जैसी जहांगीरने अपनी आप लिखी हैं। लिखी भी ऐसी हैं कि पढ़कर आनन्द आता है। क्योंकि केवल इतिहासही नहीं किन्तु न्याय नीति लौकिक रीती विद्याविनोद और नये संस्कारोंको कितनीही बातें भी इसमें आगई हैं। आश्चर्य है कि जो बादशाह आजतक लोगों में मौजी विलासी शराबी शिकारी आदि कहलाता है वह ऐसा विद्वान बुद्धिमान और लिखने पढ़ने में सावधान हो कि उसको लेखनीका एका एक अक्षर ध्यान देनेके योग्य हो। अधिक. क्या लिखें पढ़नेवाले पढ़कर स्वयं देख समझ लेंगे। यदि कुछ खेदकी बात है तो इतनी है कि इस इतिहासके अन्तिम तीन वर्षों का हाल स्वयं जहांगीरका