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जहांगीरनामा।


राजे हुए सवार अनुभवी सरदारों सहित
अहदी
पियादा बरकन्दाज (बन्टूकची)
गजनाल और शतुरनाल तोपें
हाथी
नकद रुपये


१२००
५००
२०००
१७०
६०
२० लाख

नहानयुपके ग्राम।

बुरहानपुरके बखशीने कुछ आम भेजे थे उनमेंसे एक ५२ तोले का हुआ।

सङ्गयशमका प्याला।

महतरखांके बेटे मूनसखांने यशम जातिके पत्थरका एक खेत और स्वच्छ प्याला भेट किया जो मिरजा उलगबेग गोरगांके वास्ते बनवाया गया था और जिस पर मिरजाका नाम साल सहित खुदा था। बादशाहने भी अपना और अपने पिताका नाम उसकी कोर पर खुदा दिया।

संग्रामका देश।

१६ रबीउस्मानी (भादों बदी ३) बुधवारको हुक्म हुआ कि संग्रामका देश जो एक सालके लिये इसलामखांको इनाममें दिया गया था। एक साल अफजलखां सूबेदार बिहारके इनाममें भी रहे।

राणाकी लड़ाई।

इसी दिन महाबतखां तीन हजारी जात और अढ़ाई हजार सबारका मनसब सिरोपाव खासाहाथी और जड़ाऊ तलवार सहित पाकर भादों बदौ १२ को बिदा हुआ। उसके साथ जफरखां शुजा- अतखां, राजा बरसिंहदेव, मंगलीखां नरायणदास कछवाहा, अलीकुली, बरमन, हुजबखां तुहमतन, बहादुरखां और सुअज्जुल मुल्क बखशी आदि अमीर और सरदार उसके साथ गये। सबको यथायोग्य खासे सिरोपाव जड़ाऊ तलवारें और झंडे वगैरह मिले राजा बरसिहदेवको खिलअत और खासेका घोड़ा मिला।