जीवनी और उनकी कविताको रक्षित किया है। राजरसनामृत नामसे आपने कविता करनेवाले राजा लोगोंको कविता और जीवनौका एक अच्छा संग्रह किया है जो अभी छपा नहीं है। इसी प्रकार हिन्दी कवियोंनी एक रत्नमाला गूंथी है। स्वर्गीय अजान कवि डुमरावं निवासी पण्डित नकछेदी तिवारीने जिनको मृत्युका शोक अभी बहुत ताजा है (जो गत मासमें इस प्रसार संसारको छोड़ गये हैं) कवि पद्माकरको जीवनी लिखकर उसको. इतिहास संबंधी बातोंको एकबार जांच जाने के लिये आपके पास भेजी थी। इसी प्रकार और बहुतसी बातोंको खोज तलाश आपके द्वारा होती है। आपके पुत मुंशी पीताम्बरप्रसाद जिनकी उमर इस समय कोई ३० सालको है उर्दूके बहुत अच्छे और होनेहार कवि हैं। उनको बनाई नीतिको कई पुस्तकें मैंने देखी हैं। साहित्य संबंधमें राजस्थानको इस समय दो उज्वल रत्न प्राप्त हैं एक मुंशी देवीप्रसाद जोधपुर में और दूसरे. पण्डित गौरीशंकरजी ओझा उदयपुरमें। पहलेने मुसलमानो समयके आरतके इतिहास को खोजा है और दूसरीने संत और अंगरेजौके विद्वान होनेसे हिन्दुओंके प्राचीन इतिहासको। सब साहित्यप्रेमियोंको इच्छा है कि इन दो रत्नोंको चमक दमक खूब बढ़े और सबको आशा है कि भारतके विद्याभाण्डारको इनके द्वारा बहुत कुछ पूर्ति हो। कलकत्ता कार्तिक शला १९ संवत् १९६२ विक्रमाव्द।) बालमुकुन्द गुप्त।
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