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जहांगीर बादशाह सं० १६६४।

उन जातिके बच्चे पैदा कराये जावें। इन शिकारोंसें बेगमें भी शामिल थीं।

२५ (अगहन बदी १२) को रूहतासकी तलहटीमें उलालखां गक्खड़को चचा शम्सहांकी साधुताका बखान सुनकर बादशाह उसके घर गये। दो हजार रुपये उसको और इतनेही उसकी स्त्रियों बालकोंको देकर पांच आबाद गांव उसकी जीविकाके वास्ते दिये।

६ शावान (अगहन सुदी ९) को अमीरुलउमरा अच्छा होकर जण्डाले(१) में वादशाहके पास हाजिर हुआ। सब मुसलमान हकीम और हिन्दू वैद्य कह चुके थे कि वह न बचेगा। उसे अच्छा देखकर बादशाहको बहुत हर्ष हुआ।

राय रायसिंह।

राय रायसिंह जो बड़े राजपूत अमीरोंमेंसे था अमीरूलउमरा को सुफारिशसे दरबार में उपस्थित हुआ। बादशाहने उसके अप- राध क्षमा करके उसका अगला मनसब जागीर सहित बहाल कर दिया। जब बादशाह खुसरोके पीछे गया था तो रायसिंह पर भरोसाकरके उसे आगरेमें छोड़ा था और कहा था कि महलके लोग बुलाये जावें तो उनके साथ आवे। परन्तु जब ऐसा अवसर आया तो दो तीन मंजिल तक साथ रहकार मथुराले अपने देशको चला गया और देखने लगा कि यह उपद्रव जो उठा है कहांतक पौलता है। कुछ दिनों पीछे जब खुसरो पकाड़ा गया तो रायसिंह बहुत लज्जित हुआ और अमीरुलउमराका वसीला पकड़ा।

बादशाह लाहोरमें।

१२ (अगहन सुदी १५) चन्द्रवारको बादशाह दिलामेजबागमें जो रावी नदी पर था पहुंचकर अपनी मातासे मिला। मिरजागाजी कन्धारसे आया।

१३ (पौष बदी १) मंगलवारको बादशाहने लाहोरमें प्रवेश किया।


(१) जण्डयाला।

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