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जहांगीरनामा।

भतीजे इमामकुलीखांन मिरजा शाहरूखके बेटे हुसैनको मार डाला है। बादशाह लिखता है कि सिरजा शाहरूखके बेटोंको मारना मानो दैत्यका काम होगया है जैसा कि कहते हैं कि एक दैत्यके लोइको हरेक बून्द से दूसरा दैत्य उत्पन्न होजाता है।

दिलाजाका और गक्खड़।

जफरखां दिलाजाक पठानों और गक्खड़ोंके एक लाख घरोंको, जो अटक और व्यास नदीके बीचमें उपद्रव मचाया करते थे लाहोर की तरफ कूच कराकर धक्के के डेरों में बादशाहके पास आगया।

अकबर बादशाहका तुलादान।

रज्जबके लगतेही जो अकबर बादशाहके जन्मका महीना है बादशाहने एक लाख रुपये जो उनके सौर और सौम पक्षोंके दोनों तुलादानोके थे आगरा दिल्ली लाहोर और गुजरात आदि १२ शहरों में उनकी यात्माको प्रसन्न करनेके लिये पुण्यार्थ बांटनेको भेज दिये।

पदवी।

३ रज्जब (कार्तिक सुदी ५) गुरुवारको बादशाहने खानजहांकी पदवी सलाबतखांको और खानदौरांको काबुलके सुबेदार शाहबेग को, हाथी घोड़े और सिरोपाव सहित दी। काबुल, तिराह, बंगशको तमाम सरकार और खात बिजोरको विलायत खानदौरांको जागीर में लगाई और पठानों के दबानेके वास्ते फौजदारी भी उस प्रान्तको उसीको प्रदान की। रामदास कछवाहा भी उन्हीं परगनों में जागीर पाकर इस खूबेके सहायकोंमें नियत हुआ।

मोटे राजाके बेटे किशनसिंहका मनसब हजारी जात और ५०० सवारोंका होगया।

शिकार।

बादशाहने रास्ते में कई जगह लाल हरनों का शिकार खेला जो बाबाहसन अब्दाल रावलपिण्डी कहतास करछाक और नन्दनेके सिवा कहीं नहीं होते हैं। कुछ जीते हरन भी पकड़े कि उनसे