पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/११

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हिन्दी की ओर आपका ध्यान थोड़ेही दिनसे हुआ है। कई एक विद्वानों ने आपसे आग्रह किया कि हिन्दौके भाण्डारमें इति- हातको बहुत कमी है। आप इस कमीको दूर करते तो बड़ा . उपकार होता। इतिहासका आपको सदासे अनुराग है। उसको बड़ी सामग्री उन्होंने एकत्र की है। इसका कुछ परिचय उन्होंने अपनो सन् १८०५ ईखोको जन्तोमें दिया है। यह अनुरोध उन्होंने अङ्गीकार किया और तबसे बराबर वह उस काममें लगे हुए हैं। इसके सिवा आप बहुतसे विहानोंको साहित्यसेवामें यथाशक्ति सहा- यता देनेसे भी नहीं रुकते हैं। भारतवर्षके नाना स्थानोंसे कितनी ही इतिहास संबंधी बातोंको जांच पड़तालके लिये उनके पास पत्र पहुंचते हैं। उनके उत्तरमें मुंशी साहब जोधपुरसे उनको अभीष्ट सामग्री भेज देते हैं। इतना परिश्रम करने पर भी वह साहित्य और इतिहासके संबंधके लेख समाचारपत्रोंको भेजते हैं। आपने विज्ञापन दे रखा है कि मुसलमानों और राजपूतोंके इतिहासके विषयमें कोई बात पूछना हो या किसी पुस्तकको जरूरत हो तो उनसे पत्रव्यवहार करें। ... जब जब उन्होंने अपने या रियासतौ कामों के लिये यात्रा को है सब तब कुछ समय निकालकर पुरानी बातें, पुराने ग्रन्थ, पुराने शिलालेख, पुराने पट्टे कागज और पुराने सिक्कों के ढंढ़ने में बड़ा श्रम किया है। दो साल पहले काशीको नागरौप्रचारिणी सभाके लिखने पर एक हजारके लगभग पुरानो हस्तलिखित हिन्दी पुस्तकों का पता मारवाड़ जैसे वियाहोन देशमेंसे झटपट लगा दिया था। . ___ आप पुश्तैनी कवि हैं। आपके पिता उर्दू फारसीके अच्छे कवि थे, फारसी कवितामें उनको बनाई भक्तमाल मैंने पढ़ी है। आप खयं भी पहले उर्दूको कविता करते थे और कितनेही कवि संशो- धनके लिये अपनी कविता आपके पास भेजते थे। हिन्दौमें आपने कविता नहीं की पर पुरानी कविताका उद्धार किया है। “महिला । मृदुवाणी” प्रकाशित कर आपने कविता करनेवाली स्त्रियोंको