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जहांगीरनामा।

पुरानी लोथ।

बादशाहने काबुलमें सुना था कि सुलतान महमूद गजनवीके समयमें जुहाक और बामियां स्थानोंके बीच में ख्वाजा याकूत नाम एक मनुष्य मरा था जो एक गुफामें गडा हुआ है। उसका शरीर अबतक नहीं गला है।" इस पर आश्चर्य्य करके अपने भरोसके एक समाचार लिखनेवाले और एक जर्राहको बादशाहने भेजा। उन्होंने वापिस आकर निवेदन किया कि उसका आधाअंग जो जमीन से लगा हुआ है गल गया है और आधा जो नहीं लगा है वैसाही बना है। हाथोंके नख और बाल नहीं गिरे हैं एक ओरको डाढ़ी मोंछ भी ठीक है। गुफाके द्वार पर तिथि भी खुदी हुई है। उससे सुलतान महमूदके पहिले उमका मरना प्रगट होता है। पर इस बातको कोई यथार्थरूपसे नहीं जानता।

मिरजाहुसैन।

१५ (भादों बदी २) गुरुवार को कहमर्दक हाकिम अरसलांबेगने जो तूरानके स्वामी वलीमुहम्मदखांका नौकर था हाजिर होकर सलाम किया और एक मनुष्यने मिरजा शाहरुखके बेटे मिरजाहुसैन की अरजी लाकर दी और प्याजी रङ्गका एक लाल भेट किया जो १०० का था। अर्जोंमें लिखा था कि यदि कुछ फौज मिले तो बदखशांको उजबकोंसे फतह करलूं। परन्तु बादशाह कभीसे सुना करता था कि मिरजाहुसैनको उजबकोंने मारडाला है इसलिये जवाब में लिखा कि जो तू वास्तव में शाहरुखका बेटा है तो सेवामें उपस्थित हो फिर फौज देकर तुझे बदखशांको बिदा करेंगे।

बंगश

दो लाख रुपये उस सेनाकी सहायताके लिये भेजे गये जो महासिंह और रामदासके साथ वंगशके सरकश पठानों पर भेजी गई थी।

बालाहिसार।

२२ (भादों बदी ९) गुरुवारको बादशाहने बालाहिसार(१) के


(१) काबलके किलेका नाम है।