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वह था गुलमुहम्मद का सोलह बरस का लड़का अमीर खाँ! उसने आते ही कहा -'प्रेमकुमारी, तू थाली उठाकर भागी क्यों जा रही है? मुझे तो आज खीर खिलाने के लिए तूने कह रखा था।' ___ 'हाँ भाई अमीर! मैं अभी और ठहरती; पर क्या करूं, यह देख न, कौन आ गया है! इसलिए मैं घर जा रही थी।' अमीर ने आगन्तुक को देखा। उसे न जाने क्यों क्रोध आ गया। उसने कड़े स्वर से पूछा-'तू कौन है?' 'एक मुसलमान'–उत्तर मिला। अमीर ने उसकी ओर से मुँह फिराकर कहा- 'मालूम होता है कि तू भी भूखा है। चल, तुझे बाबा से कहकर कुछ खाने को दिलवा दूंगा। हाँ, इस खीर में से तो तुझे नहीं मिल सकता। चल न वहीं, जहाँ आग जलती दिखाई दे रही है।' फिर उसने प्रेमकुमारी से कहा -'तू मुझे क्यों नहीं देती? वे सब आ जाएँगे, तब तेरी खीर मुझे थोड़ी ही-सी मिलेगी।' सीटियों के शब्द से वायुमण्डल गूंजने लगा था। नटखट अमीर का हृदय चंचल हो उठा। उसने ठुनककर कहा-'तू मेरे हाथ पर ही देती जा और मैं खाता जाऊं।' प्रेमकुमारी हँस पड़ी। उसने खीर दी। अमीर ने उसे मुँह से लगाया ही था कि नवागन्तुक चिल्ला उठा। अमीर ने उसकी ओर अबकी बार बड़े क्रोध से देखा। शिकारी लड़के पास आ गये थे। वे सब-के-सब अमीर की तरह लम्बी-चौड़ी हड्डियोंवाले स्वस्थ, गोरे और स्फूर्ति से भरे हुए थे। अमीर खीर मुँह में डालते हुए न जाने क्या कह उठा और लड़के आगन्तुक को घेरकर खड़े हो गये। उससे पूछने लगे। उधर अमीर ने अपना हाथ बढ़ाकर खीर माँगने का संकेत किया। प्रेमकुमारी हँसती जाती थी और उसे देती जाती थी। तब भी अमीर उसे तरेरते हुए अपनी आँखों में और भी देने को कह रहा था। उसकी आँखों में से अनुनय, विनय, हठ, स्नेह सभी तो माँग रहे थे, फिर प्रेमकुमारी सबके लिए एक-एक ग्रास क्यों न देती? नटखट अमीर एक आँख से लड़कों को, दूसरी आँख से प्रेमकुमारी को उलझाये हुए खीर गटकता जाता था। उधर वह नवागन्तुक मुसलमान अपनी टूटी-फूटी पश्तो में लड़कों से 'का प्रसाद खाने की अमीर की धष्टता का विरोध कर रहा था। वे आश्चर्य से उसकी बातें सुन रहे थे। एक ने चिल्लाकर कहा-'अरे देखो, अमीर तो सब खीर खा गया।' सब लड़के घूमकर अब प्रेमकुमारी को घेरकर खड़े हो गये। वह सबके उजले-उजले हाथों पर खीर देने लगी। आगन्तुक ने फिर चिल्लाकर कहा-'क्या तुम सब मुसलमान हो?' लड़कों ने एक स्वर से कहा-'हाँ, पठान।' 'और उस काफिर की दी हुई...?' 'यह मेरी पड़ोसिन है!'–एक ने कहा 'यह मेरी बहन है।' दूसरे ने कहा। 'नन्दराम बन्दूक बहुत अच्छी चलाता है।'-तीसरे ने कहा। 'ये लोग कभी झूठ नहीं बोलते।'-चौथे ने कहा। 'हमारे गाँव के लिए इन लोगों ने कई लड़ाइयाँ की हैं।'–पाँचवें ने कहा।