पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/९

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जमसेदजी नसरवामनी ताता--


केन्द्र होता चला आया है। पारसमें मुसलमानोंके अत्याचार होने पर जब पारसी भागकर हिन्दुस्तानमें आये थे तभीसे नवसारी एक प्रसिद्ध पारसी नगर होगया है।

जैला पुरोहितोंकी मंडली में हुआ करता है, नवसारीमें वादविवाद और मजहबी बहस मुवाहसे बराबर हुआ करते थे। धर्मग्नश जेदावस्ताका ठीक अर्थ क्या है और पुराने रिवाज क्या हैं, ऐसेही उधार धर्मके सिद्धांतों पर शास्त्रार्थ होते थे।

ईश्वर निराकार है या साकार, जीवित पितरोंका श्राद्धहोना चाहिये या मरोंका, इन प्रश्नोंको लेकर आर्यसमाजियों और सनातनियों को इन्त कटाकट करते जिन लोगोंने देखा है धे पारसी भट्टाचार्यों की धर्मचर्या को समझ जायंगे।

जहां परमात्माकी सृष्टि में अनेक आश्चर्यजनक बातें हुआ करती हैं, वहां वह भी एक अचम्मा था कि नवसारीले वचन वीर पारस्ती पुरोहितोंमें कर्मवीर जमसेदजी नसरवानजी ताता ने जन्म लिया। ताताजीके पिता भी एक मामूली हैसियतके पारसी पुरोहित थे।

नवसारी गांव में कोई अंगरेजी स्कूल नहीं था। इसलिये बालकने एक गुरूजीसे पढ़ना लिखना और थोड़ा बहुत हिसाब सीखा। लेकिन जिसको इतना बड़ा काम करना था उसको इतनी थोड़ी शिक्षासे क्या होता! इसलिये ऊंची शिक्षाके लिये बालक ताता सन १८५२ ई० में बम्बई भेजे गये और वहां जाकर आप उस एलफिंस्टन कालेजमें भरती हुये जिसमें